scriptयहां पर पुरूष पहनते हैं नकाब, महिलाएं करती हैं राज  | Sahara tribe: men wear veil and women embrace freedom | Patrika News

यहां पर पुरूष पहनते हैं नकाब, महिलाएं करती हैं राज 

Published: Jun 26, 2015 08:16:00 am

पुरूषों का तर्क है कि महिलाएं खूबसूरत होती हैं और हम उनका चेहरा देखना पसंद करते हैं

sahara tribe

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माली/नाइजीरिया। महिला अधिकारों को लेकर जहां आधुनिक समाज में अभी बहस छिड़ी हुई है, वहीं सहारा के रेगिस्तान में रहने वाली तुरेज मुस्लिम आदिवासी महिलाएं बिंदास होकर जीवन बिता रही हैं। यहां पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को सारे जरूरी अधिकार दिए गए हैं, वे नकाब ओढ़ने के लिए बाध्य नहीं हैं। उन्हें संपत्ति में बराबर का हक प्राप्त है। यहां तक की पैतृक संपत्ति में भी उनका हिस्सा है।

तुरेज आदिवासी सदियों से उत्तर-अफ्रीकी रेगिस्तानी इलाके में अपना जीवन गुजार रहे हैं, आधुनिकता के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है। न सड़कें , न बिजली और ना ही ऊंची-ऊंची इमारतें, लेकिन यहां के मुस्लिम पुरूष बाशिंदों की सोच आधुनिक शहरों में रहने वाले पुरूषों से कहीं बेहतर है।

पुरूषों के लिए नकाब
इन्होंने कई ऎसे तरीके अपनाए हैं जो आमतौर पर मुस्लिम समाज में देखने को नहीं मिलते, यहां पुरूष अपना चेहरा ढकते हैं जबकि महिलाओं के लिए नकाब नहीं है। पुरूषों का तर्क है कि महिलाएं खूबसूरत होती हैं और हम उनका चेहरा देखना पसंद करते हैं। यहां पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं के भी अपने टेंट और अपने पशु हैं।

बेटी के तलाक के बाद होती है पार्टी
आम समाज के उलट यहां तलाक के बाद बेटियों के माता-पिता दुखी नहीं होते बल्कि “डिवोर्स पार्टी” का आयोजन करते हैं। विवाह से पहले ही निश्चित कर लिया जाता है कि किसके पास क्या रहेगा, इसलिए विवाद नहीं होता। बच्चे पत्नी के पास रहते हैं, आदमी को अपने घर वापस आना पड़ता है। तलाक के बाद उसे सिर्फ एक ऊंट ही मिलता है।

पैतृक संपत्ति में हक
यह आदिवासी जाति पिछले एक हजार सालों से सहारा में घूम-घूम कर अपना जीवनयापन कर रही है। लड़कियों को पैतृक संपत्ति में भी बराबर का हक प्राप्त है। शादी के बाद भी लड़कि यां पिता की संपत्ति रख सकती हैं। ज्यादातर लड़कियों की शादी 20 साल के बाद ही होती है।

आईएस का डर
तुरेज समुदाय का जीवन जानवरों पर ही निर्भर रहता है वो इनसे दूध निकालते हैं, इनका मांस खाते हैं और इनका व्यापार करते हैं। यहां औरतें राजनीतिक पार्टियों की सभाओं में भी जाती हैं , हांलाकि वह किसी राजनीतिक गतिविधि का हिस्सा नहीं हैं पर उनके विचार मायने रखते हैं। पुरूष अपने घरों में अपनी मां व पत्नी से विचार-विमर्श करते हैं। हालांकि इस इलाके में भी उग्रवादी इस्लामिक संगठनों ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। माली में रहने वाले तुरेज आदिवासियों को आईएसआईएस से डर है वहीं उत्तरी नाइजीरिया में आदिवासियों को बोको हरम से खतरा है।
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