मथुरा-वृंदावन के बीच फिर दौड़ेगी रेल बस
15 साल पहले मथुरा से वृंदावन के लिए दो रेल बस का संचालन शुरू हुआ था। लेकिन समय के साथ यह बंद हो गई, अब एक बार फिर रेल बस का संचालन शुरू होने जा रहा है।
मथुरा। मथुरा-वृंदावन के बीच चलने वाली देश की अनूठी रेल बस एक बार फिर दौड़ेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद पहल की है। अगर रेलबस चली तो रेलवे के 11 करोड़ रुपए भी बर्बाद होने से बच जाएंगे।
देखरेख के अभाव में दम तोड़ा
मथुरा से वृंदावन के बीच 14 किलोमीटर लंबा मीटर गेट रेलमार्ग है। ब्रिटिश शासन में बने इस रेल मार्ग पर रेलबस को सात फाटक पार करने होते हैं। पहले लाइन में लोहे के स्लीपर बिछे थे। देखरेख के अभाव में वे स्लीपर गल गए। इस कारण आए दिन रेल बस उन स्लीपर में फंस कर खड़ी हो जाती थी। ट्रैक की हालत भी खस्ता हो गई थी। इस पर रेलवे के अधिकारियों ने रेलबस की गति 30 किमी प्रति घंटा कर दी थी।
रेलवे ने करायी थी मरम्मत
चार साल पहले ही रेलवे ने 11.20 करोड़ की लागत से इस रेल मार्ग की मरम्मत कराई। इसमें सभी लोहे के स्लीपर हटाकर सीमेंट के स्लीपर लगा दिए गए। अब रेलबस इस मार्ग पर 80 से 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड तक दौड़ सकती है।
वृंदावन से कासगंज तक जाती थी राधारानी एक्सप्रेस
रेलवे के रिटायर ड्राइवर और रेलबस को चार साल चला चुके मोहनलाल सारस्वत बताते हैं कि दो दशक पहले तक वृंदावन से कासगंज तक दो ट्रेन चलती थीं। ब्रज प्रेमी उन ट्रेन को राधारानी एक्सप्रेस नाम से पुकारते थे। दोनों में उस वक्त कोयले से चालित इंजन थे। कोयला इंजन बंद होने पर डीजल इंजन से संचालित कराया गया।
पहले चलती थी दो रेलबस
15 साल पहले मथुरा से वृंदावन के लिए दो रेल बस का संचालन शुरू हुआ था। इसमें पहले जंक्शन से चलकर रेल बस मथुरा कैंट स्टेशन फिर वापस होकर मथुरा जंक्शन और वृंदावन पहुंचती थी। दोनों रेलबस रोजाना पांच-पांच चक्कर लगाती थी। 10 साल पहले एक रेल बस खराब हुई तो उसकी मरम्मत मुंबई से आए इंजीनियरों ने की। जब बड़ी तकनीकी खराबी आई तो रेलवे के अधिकारियों ने स्टैंड बाई के तहत एक बस को बंद कर उसके पुर्जे दूसरी में फिट करा दिए। एक रेलबस को यार्ड में खड़ा करा दिया। इसके बाद रेलबस जैसे-तैसे सफर कर रही थी। बीते 11 माह से तकनीकी खराबी के कारण रेलबस फिर यार्ड में खड़ी है।
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