भोलेनाथ की पूजा में कुछ चीजें वर्जित हैं, उन्हें भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए, वर्ना शिव नाराज होते हैं।
भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। वो जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी नाराज भी होते हैं। इसलिए उनका पूजन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कभी न चढाएं तुलसी
ज्योतिषाचार्य डॉ अरबिंद मिश्र बताते हैं कि शिव पुराण की एक कथा के अनुसार तुलसी पहले जालंधर नामक एक दैत्य की पत्नी वृंदा थीं। जालंधर को यह वरदान था कि जब तक उसकी पत्नी पतिव्रता रहेगी, जालंधर का कोई अंत नहीं कर सकता। जालंधर के अत्याचारों से दुनिया को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत भंग किया था, तब जालंधर को भगवान शिव ने मारा था। उसके बाद वृंदा को तुलसी के रूप में भगवान विष्णु ने पत्नी स्वीकार किया। तब तुलसी ने अपनी पत्तियों का प्रयोग महादेव की पूजा में वर्जित कर दिया। इसलिए शिव जी पर भूलकर भी तुलसी न चढ़ाएं।
ये चीजें भी वर्जित
– भोलेनाथ पर केतकी का पुष्प चढ़ाना वर्जित है। उसके बजाय कनेर का फूल चढ़ाएं।
– महादेव के पूजन में कुुमकुम और हल्दी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उसके बजाय पीले चंदन का प्रयोग करें।
– भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग न करें। भोलेनाथ ने शंखचूड़ नाम के असुर का प्रतीक माना जाता है जिसका वध महादेव ने किया था। इसलिए महादेव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चूंकि शंखचूड़ भगवान विष्णु का भक्त था इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है।
– उबले हुए दूध से अभिषेक न करें। शिवलिंग का अभिषेक कच्चे और ठंडे दूध से करना चाहिए।