चीन की सीमा से लगे बर्फीले तथा दुर्गम क्षेत्रों में तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों के लिए अब ‘फ्रीज प्रूफ’ चौकियां बनाई जाएंगी जिन पर हाड़ गलाने वाली ठंड का असर नहीं होगा और उनमें पानी भी नहीं जमेगा।
चीन की सीमा से लगे बर्फीले तथा दुर्गम क्षेत्रों में तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों के लिए अब ‘फ्रीज प्रूफ’ चौकियां बनाई जाएंगी जिन पर हाड़ गलाने वाली ठंड का असर नहीं होगा और उनमें पानी भी नहीं जमेगा।
आईटीबीपी के जवानों की इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि वहां पानी जम जाता है और खाना बनाने तथा नित्यकर्म के लिए भी पानी के लाले पड़ जाते हैं।
आईटीबीपी के महानिदेशक कृष्ण चौधरी ने मंगलवार को बल के वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दुर्गम तथा बर्फीले क्षेत्रों में जवानों को प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है जिसे देखते हुए अब इन क्षेत्रों में ऐसी ‘फ्रीज प्रूफ’ चौकियां बनाई जाएंगी।
इन क्षेत्रों में बनाए जाने वाले भवनों पर सौर पैनल लगाए जाएंगे और यह व्यवस्था की जाएगी कि पानी न जमे।
इससे जवानों को खाना बनाने तथा अन्य कामों के लिए हर समय पानी उपलब्ध होगा। इन भवनों तथा चौकियों के निर्माण की मंजूरी मिल गई है और यह काम अगले वर्ष शुरू हो जाएगा।
40 बार्डर आउटपोस्ट का भेजा प्रस्ताव
चौधरी ने कहा कि आईटीबीपी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में छह नई सीमा चौकियां बनाएगी तथा आठ पुरानी चौकियों पर जवानों की संख्या बढ़ाकर उन्हें और मजबूत बनाएगा।
उन्होंने कहा कि सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए आईटीबीपी ने 40 बार्डर आउटपोस्ट और 12 स्टेङ्क्षजग प्वाइंट बनाने के लिए भी गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। इससे बल में आठ बटालियन बढ़ जाएंगी।
उन्होंने कहा कि बल के लिए हेलिकॉप्टर लीज पर लेने के लिए भी पवन हंस के साथ बातचीत चल रही है। अभी आईटीबीपी वायु सेना और सेना के हेलिकॉप्टरों से मदद लेकर काम कर रही है।
एक सवाल के जवाब में महानिदेशक ने कहा कि अर्धसैनिक बलों ने भी एक रैंक एक पेंशन योजना के लिए वेतन आयोग के समक्ष बात रखी है और उन्हें उम्मीद है कि इसे स्वीकार कर लिया जाएगा।