बिहार में एक अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी जाएगी। राज्य सरकार ने यह बड़ा फैसला लेते हुए इस सिलसिले में अनुशंसा जारी कर दी है।
बिहार में एक अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी जाएगी। राज्य सरकार ने यह बड़ा फैसला लेते हुए इस सिलसिले में अनुशंसा जारी कर दी है। सरकार के इस कदम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुनावी वादे को निभाने के सन्दर्भ में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व नीतीश ने बिहार सरकार की मद्य निषेध नीति में बड़े बदलाव का वादा किया था। इसी वर्ष 9 जुलाई को पटना के एसके मेमोरियल हॉल में मुख्यमंत्री ने एलान किया था कि अगर फिर से बिहार में उनकी सरकार बनती है तो वे महिलाओं की मांग पर कोई बड़ा फैसला लेंगे।
बिहार में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग से सरकार को सालाना 3 हज़ार 500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।
गुरुवार को संवाद कक्ष में विभागीय अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया। मद्य निषेध प्रमुख के नाम उन्होंने प्रदेश में शराबबंदी के लिए पत्र जारी कर आदेश दिया है।
इस आदेश में अगले वित्तीय वर्ष के एक अप्रेल से प्रदेश भर में शराबबंदी किया जाना तय हुआ है। नीतीश ने मोबाइल से शराबबंदी का संकल्प जारी किया।
शराब को लेकर चिंता जाहिर करते हुए नीतीश ने कहा कि गरीब लोग शराब पीने के चक्कर में अपने परिवार को बर्बाद कर रहे हैं। उनकी इस हरकत की वजह से बच्चों की पढ़ाई तो बर्बाद हो ही रही है साथ ही घर में कलह की भी स्थिति बन जाती है। अपराध बढऩे में भी शराब की भूमिका सबसे अधिक होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब की वजह से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को झेलनी पड़ती है। घर की शांति प्रभावित होने के साथ ही बच्चों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। देशी शराब स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होता है। शराब की दुकानों के आसपास का माहौल खराब होता है, जहां से महिलाओं का गुजरना कठिन हो जाता है।