scriptबिना आंखों के बनी राखियों की देशभर में भी मांग | Demand in the country without any eyes | Patrika News

बिना आंखों के बनी राखियों की देशभर में भी मांग

locationअहमदाबादPublished: Jul 24, 2017 04:17:00 am

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार के लिए यूं तो जगह-जगह राखियां तैयार की जाती हैं,

ahmedabad

ahmedabad

अहमदाबाद।भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार के लिए यूं तो जगह-जगह राखियां तैयार की जाती हैं, लेकिन शहर के मेमनगर क्षेत्र स्थित अंध कन्या प्रकाश गृह में बिना आंखों के बनाई जा रहीं राखियां कुछ खास हैं। गुजरात में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों से इन राखियों के ऑर्डर आ रहे हैं। अब तक करीब तीस हजार राखियां बेची जा चुकी हैं।
अंध कन्या प्रकाश गृह में पढ़ाई के अलावा नेत्रहीन कन्याओं को ऐसे गुर सिखाए जाते हैं ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। यहां विविध वस्तुएं बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है इनमें खाने पीने की वस्तुएं जैसे चिक्की, नमकीन के अलावा दीपक, मोमबत्ती, राखी, बैग भी शामिल हैं।

 दीपावली के इर्दगिर्द ये कन्याएं दीपक, मोमबत्ती व अन्य खाने पीने की वस्तुएं बनाती हैं वहीं रक्षाबंधन त्योहार के नजदीक आते ही राखियां बनाती हैं। अगले माह 7 अगस्त को रक्षाबंधन के पर्व के उपलक्ष्य में यहां की पन्द्रह नेत्रहीन कन्याओं ने फरवरी माह से ही आकर्षक राखियां बनानी शुरू कर दी थीं। गृह की प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर स्मिता भूपेन्द्र शाह ने बताया कि अब तक करीब तीस हजार राखियां बनाईं थीं। जबकि ऑर्डर इससे भी अधिक आ गए हैं।


उन्होंने कहा कि गुजरात के विविध स्कूलों से राखियों के ऑर्डर आते हैं इसके अलावा राजस्थान, दिल्ली, एम.पी. और यूपी से भी हजारों राखियों के ऑर्डर आ गए हैं। सभी ऑर्डरों को पूरा करने के प्रयास में नेत्रहीन कन्याएं लगी हुईं हैं। फिलहाल यहां 10, 15 और 20 रुपए (प्रति) राखी कीमत है। गृह में रहने वाली संगीता, ऊषा, गीता, मीरा, पन्ना समेत 15 कन्याएं प्रतिदिन राखी बनाती हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो