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“दलित हूं, इसलिए किया जा रहा है परेशान”

locationअजमेरPublished: Jul 03, 2015 06:45:00 am

“कुर्सी पर बैठी थी, तब
उम्मीद थी कि सभी का सहयोग मिलेगा और मैं अच्छा काम करूंगी, लेकिन जिस तरह

ajmer

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अजमेर।”कुर्सी पर बैठी थी, तब उम्मीद थी कि सभी का सहयोग मिलेगा और मैं अच्छा काम करूंगी, लेकिन जिस तरह मेरे काम में अब दखलंदाजी की जा रही है, उससे में आहत हुई हूं। …और यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि मैं एक दलित परिवार से हूं।” राज्य की सबसे युवा जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने अपनी यह व्यथा गुरूवार को राजस्थान पत्रिका से बातचीत में व्यक्त की। नोगिया ने अन्य मुद्दों पर भी खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर की।


आपके कुर्सी पर आसीन होने के बाद से कुछ न कुछ विवाद हो रहे हैं। इसके पीछे आप क्या कारण मानती हैं? मेरे खिलाफ सारा खेल इसलिए रचा जा रहा है क्योंकि मैं एक दलित परिवार की बेटी और उच्च शिक्षित भी हूं। ये विडम्बना ही है कि मेरी ही विचारधारा के पार्टी के कुछ लोगो को मेरा जिला प्रमुख बनना रास नहीं आ रहा। इसलिए मुझे येनकेन-प्रकारेण नीचा दिखाया जा रहा है। इस तरह की ओछी हरकतें व व्यवहार को लेकर खुद को काफी व्यथित महसूस करती हूं।

आपके कामकाज में कौन दखल दे रहा है?


जनप्रतिनिधियो के साथ चर्चा करना, उनके सुझाव पर अमल करना तो अच्छा लगता है। लेकिन कुछ जनप्रतिनिधियो के नाते-रिश्तेदार दबंगई दिखाते हुए अनावश्यक दखलंदाजी कर निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं। यह किसी तरह से भी उचित नहीं है।
जिला परिषद मे यदि ऎसे ही हालात रहे तो आप काम कैसे करेंगी?


कुछ दिनों से समझ नहीं आ रहा है कि मुझे क्या करना चाहिए। थक-हार कर पिछले दिनो मुझे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश संगठन और पंचायतीराज मंत्री से मिलकर शिकायत करनी पड़ी। मुख्यमंत्री ने मुझे आश्वस्त किया है कि आप तो काम करते रहो, शेष्ा मैं देख लूंगी। यदि ऎसे ही हालात आगे भी रहे तो मेरे लिए जिला परिषद चलाना मुश्किल होगा।

जिला प्रमुख निर्वाचित हुए आपको काफी समय हो गया। कोई ठोस काम अभी तक क्यो नहीं हुआ?


जब से मैंने जिला प्रमुख की कुर्सी संभाली है, तब से जिले के सभी विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों का सम्मान कर रही हूं। मैं काम करना चाहती हूं। फिर भी मुझे हतोत्साहित करने के लिए सुनियोजित तरीको से नीचा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है।

आपको मिली सरकारी कार पर लालबत्ती हटाने को लेकर काफी विवाद हुआ। इसके क्या कारण रहे?


प्रदेश में सभी जिलों के प्रमुखो की सरकारी कार पर लालबत्ती लगाई हुई हैं। इससे पहले अब तक जिला प्रमुख अपनी कार पर लालबत्ती लगाते रहे हैं। मुझे लालबत्ती लगी कार ही सुपुर्द की गई। यदि लालबत्ती लगाना नियम में नहीं था, तो कार्यवाहक सीईओ जगदीश हेड़ा ने पहले लालबत्ती क्यों नहीं उतरवाई?

उन्हें लालबत्ती उतरवाने के बाद ही कार सुर्पुद करनी चाहिए थी। करीब तीन माह बाद कुछ सामंतवादी राज नेताओ के दबाव में मुझे नीचा दिखाने के लिए कार की लालबत्ती उतारी गई। ऎसे अफसर कुर्सी पर बैठने लायक ही नहीं हैं, जो बाहरी लोगो के दबाव मे काम कर रहे हैं।


आप द्वारा किए कर्मचारियों के तबादलो को जिला परिषद प्रशासन ने निरस्त करवा दिया। यहां तक कि आपके दो निजी सहायको को भी रिलीव कर दिया गया। इस बारे में आपका क्या कहना है?


पंचायतीराज विभाग के निर्देशो की अनुपालना में जिन कार्मिकों के तीन साल एक ही जगह पर पूरे हो गए, उन कार्मिकोे के तबादले दूसरी पंचायत समिति क्षेत्र में किए गए। इन तबादलों के दौरान मैंने संबंधित क्षेत्र के विधायको से भी राय-मशविरा किया। फिर भी जानबूझ कर तबादले निरस्त करवाए गए। यदि किसी को परेशानी थी, तो मुझे ही बता देते। किसी कर्मचारी के विकलांग होने की जानकारी मुझे नहीं थी। यदि होती तो उसका तबादला ही नहीं होने देती।


जिला परिषद स्थायी समितियों के अध्यक्ष चुनाव में बाजी कैसे पलट गई?
पांच में से तीन समितियों का निर्वाचन होना था। इसलिए सभी सदस्यो को बैठाकर चर्चा की गई। ग्रामीण जलप्रदाय स्थायी समिति और विकास व उत्पादन कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष पद के लिए सभी के बीच सहमति बन गई।


इसलिए दोनों पदों पर भाजपा के सदस्य निर्विरोध जीते। शिक्षा समिति पर आम सहमति नहीं होने पर मतदान करवाया गया। उसमें भी भाजपा को जीत मिली। केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम, किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी एवं भाजपा संगठन नेताओ से चर्चा करने के बाद तीनों पदो पर योग्य व सक्षम सदस्यो का चुनाव कर लिया गया।


के.आर. मुण्डियार
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