scriptहाइकोर्ट के वकीलों की हड़ताल खत्म, काम पर लौटे | Allahabad high court advocate Strike called off news in Hindi | Patrika News

हाइकोर्ट के वकीलों की हड़ताल खत्म, काम पर लौटे

locationप्रयागराजPublished: Jul 25, 2017 10:51:00 pm

हाईकोर्ट के एक जज के व्यवहार से दुखी होकर सामूहिक रूप से किया था कार्य बहिष्कार

Advocate

Advocate

इलाहाबाद. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकीलों की 21 जुलाई से चल रही हड़ताल मंगलवार को समाप्त हो गयी। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर वकीलों की यह हड़ताल हाईकोर्ट के एक जज के व्यवहार से दुखी होकर लिया गया था। वकीलों का कहना था कि जज का व्यवहार बार के प्रति ठीक नहीं है इसलिए हाइकोर्ट के सभी वकील सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार किया था और वकीलों की मांग थी कि जज का अन्य प्रांत में तबादला होने तक न्यायिक कार्य नहीं करेगा।

चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले ने वकीलों की हड़ताल को समाप्त कराने के लिए सीनियर जजों की एक स्टीयरिंग कमेटी बनायी थी। मुख्य न्यायाधीश स्वयं इस मामले पर अपनी नजर बनाये हुए थे और और खुद हर पल की खबर लेते हुए बार के पदाधिकारियों के संपर्क में थे। चीफ जस्टिस के हस्तक्षेप पर बार के पदाधिकारियों की सहमति से आज बार एसोसिएशन ने अपनी आम सभा बुलाकर कल बुधवार से न्यायिक काम करने के अपने पूर्व के निर्णय को खत्म कर दिया। प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया गया कि अधिवक्ता बुधवार 26 जुलाई से अदालतों का बहिष्कार खत्म कर न्यायिक कार्य करेंगे।


यह भी पढ़ें

नग्न मिली थी युवक की लाश, परिजनों ने हत्या करने का लगाया आरोप





बार के अध्यक्ष व महासचिव के धमकी भरे व्यवहार से खिन्न हाईकोर्ट के जज सुधीर अग्रवाल ने चीफ जस्टिस व अन्य सभी जजों को एक पत्र लिखकर बार के अध्यक्ष व महासचिव द्वारा किये गये व्यवहार को बताते हुए संज्ञान लेने का अनुरोध किया था। जज ने पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वकीलों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के सात जजों की पीठ के समक्ष इस प्रकरण को भी रखा जाए। जज के इस पत्र को लेकर हाईकोर्ट के वकील और नाराज हो गए और उन्होंने आन्दोलन जारी रखने का 24 जुलाई को निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश ने बार के अध्यक्ष की सहमति पर यह निर्णय लिया कि वह जज के पत्र पर बार के अध्यक्ष व महासचिव के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस नहीं चलायंेगे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आज अपने पदाधिकारियों व बार के सदस्यों के साथ मीटिंग कर कल 26 जुलाई से आन्दोलन समाप्त कर न्यायिक कार्य करने का निर्णय लिया।

बार एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारी जे.बी.सिंह व कई अन्य ने बार के इस निर्णय पर खेद व्यक्त किया है। उनका कहना है कि बार एसोसिएशन ने जिन मुद्दों पर आन्दोलन चलाया और हड़ताल की वे मुद्दे आज भी बरकरार हैं, ऐसे में अचानक आन्दोलन समाप्त करने का बार का निर्णय गलत है। मालूम हो कि 20 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश के आदेश से द.प्र.सं. की धारा 482 के अन्तर्गत हाईकोर्ट में दाखिल फ्रेस केसों की फाइलें सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की कोर्ट में भेजी गयी थी। बार के अध्यक्ष व महासचिव ने वकीलों के अनुरोध पर जज से कहा था कि वह इन केसों की सुनवाई न करें। परन्तु जज ने केसों की सुनवाई न करने के बार के अनुरोध को ठुकरा दिया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो