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प्रयागराज

बाहुबली अतीक का टूटेगा तिलिस्म, भाई अशरफ की गिरफ्तारी से लगेगा बड़ा झटका  

सत्ता परिवर्तन के बाद उन पर मुकदमा लिखावाने वालों और कार्यवाही करने की मांग की बाढ़ आ गई है। 

प्रयागराजJun 29, 2017 / 05:12 pm

ज्योति मिनी

Bahubali Atiq Ahmad,

Bahubali Atiq Ahmad,

इलाहाबाद. बाहुबली सांसद अतीक अहमद की मुश्किलें दिन बा दिन बढ़ती जा रही हैं। अतीक अहमद जिनका नाम लेने में भी कभी लोग खौफ खाते थे। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद उन पर मुकदमा लिखावाने वालों और कार्यवाही करने की मांग की बाढ़ आ गई है। 











पूर्व सांसद अतीक अहमद उस डर का नाम था। जिसके बंगले को कोई भी पलट कर देखने की हिम्मत नहीं करता था। अतीक अहमद का काफिला जब शहर में निकलता तो लोग खुद ब खुद रास्ता छोड़ देते थे। अपने मिलने वालों के लिए सरल और सामान्य अतीक अहमद का एक खौफ था। जिससे लोग डरते थे। कहा जाता की अतीक का नाम ही काफी है। 



लेकिन सरकार के बदलने और समाजवादी पार्टी के मुखिया की सरपरस्ती से दूर होने के बाद उनकी मुश्किलें इस कदर बढ़ रही हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही। वैसे तो कई बार ऐसा हुआ है। राजनीतिक और आपराधिक आरोपों के चलते बाहुबली सांसद ईद पर सलाखों के पीछे रहे हैं। लेकिन इस बार हाईकोर्ट की सख्ती के बाद जिस कदर अतीक और उनके भाई असरफ पर जिला प्रशासन शिकंजा कस रहा है। वह पहले से ज्यादा मुश्किल है। जानकारों की माने तो अतीक के इलाके में ईद की रौनक नहीं रही। अतीक को जिले और प्रदेश भर में उनको भाई के नाम से जानते हैं। लोग भाई की दी हुई ईदी को याद करते हैं।

अशरफ की जमानत ख़ारिज करने की अर्जी

राजू पाल हत्याकांड में पूर्व सांसद अतीक अहमद की जमानत रद्द करने के बाद सीबीआई उनके भाई अशरफ को भी जेल भेजने में लगी है। अशरफ पर भी पुलिस शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अतीक बंधुओं की सभी पुराने मामलों की फाइल खुल गई है। साथ ही धूमनगंज में सीमेंट व्यापारी पर हुए हमले में एसएसपी आंनद कुलकर्णी ने अग्रिम जमानत विवेचना के निर्देश दिए हैं। 



सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड की जाँच शुरू करते हुए मुख्य आरोपीयो की घेराबंदी शुरू कर दी है। इस मामले सभी आरोपी जमानत पर रिहा थे। राजू पाल हत्याकांड की साजिश रचने के आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद की जमानत के बाद पूर्व विधायक पूजा पाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की और सीबीआई को भी पार्टी बनाया सीबीआई को पार्टी बनाते ही पूर्व सांसद की जमानत कर दी गई। 


इसके बाद राजू पाल हत्याकांड के सभी आरोपी पर भी सीबीआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया। अशरफ के खिलाफ घेराबंदी शुरू हो गई है । अशरफ की जमानत खारिज कराने के लिए भी कोर्ट में भी अर्जी दी गई है। पुलिस अशरफ की जमानत खारिज कराने के लिए भी कोर्ट में अर्जी दी है। जमानत खारिज कराने के लिए पुलिस साक्ष्य इकट्ठा कर रही है । धूमनगंज थाना के अंतर्गत सीमेंट कारोबारी को मारपीट कर हाथ पैर तोड़ने के मामले में अग्रिम जमानत की विवेचना का निर्देश दिया गया है। इस केस में पुलिस ने अशरफ को छोड़कर अतीक के करीबियों को आरोपी बनाया था।

व्यापारी का हाथ पैर तोड़ा

धूमनगंज निवासी अरशद का सीमेंट एजंसी का चलाता है। धूमनगंज के झलवा में उसका कार्यालय है। बीते 7 अगस्त 2016 को पूर्व विधायक अशरफ ने अपने गुर्गो के साथ उसके कार्यालय पर पहुंचे और उसको जमकर मारा। अरशद को इसलिए मारा की वह राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की मदद करता है। अशरफ़ और उनके दबंगों ने सरेआम मारपीट कर उसके हाथ-पैर तोड़ दिया। साथ ही उसकी दुकान में रखी है उसकी लाइसेंसी बंदूक को आरी से काट दिया तत्काल चौकी इंचार्ज हो धूमनगंज पुलिस घटना की जानकारी मिलने के बाद भी मौके पर नहीं गए। अरशद का परिवार इस घटना के बाद इतना डरा हुआ था किसने इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराया।


जब बाद में मीडिया के दबाव में पुलिस ने इस मामले को संज्ञान लिया तो पुलिस में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया। सपा सरकार के दबाव में थाने के विवेचक ने अशरफ को छोड़कर उसके साथी तोता अकरम आशिक इकरार और लवकुश को आरोपी बनाया। कप्तान आनंद कुलकर्णी ने केस की समीक्षा के लिए धूमनगंज इंस्पेक्टर अरुण त्यागी को इसकी इसकी जांच करने का निर्देश दिया है।
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