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प्रयागराज

नाग वासुकी मंदिर में लगा भक्तों का तांता, कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति

 सुबह से ही लगा रहा  भक्तों का तांता 

प्रयागराजJul 28, 2017 / 06:52 pm

Ashish Shukla

nagpanchmi

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इलाहाबाद. सावन माह को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र माह माना जाता है। सावन में भगवान शंकर की पूजा के विशेष महत्ता होती है। मान्यताओं के अनुसार इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने का विशेष लाभ होता है। सावन में आज नागपंचमी पर भगवान शिव के शेषनाग अवतार की पूजा की जाती है। संगम नगरी में नाग पंचमी के अवसर पर नाग वासुकी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है।

संगम तट पर नाग वासुकी मंदिर जहां की मूर्ति अत्यंत ही आकर्षक है मंदिर के गर्भगृह में शेषनाग स्वरूप की मूर्ति के अलावा नौ अन्य शिवलिंग स्थापित है।जिन्हें शेषनाग के अलग-अलग अवतारों के रूप में बताया जाता है। नाग पंचमी पर भगवान शिव को को प्रसन्न करने और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां पर पूजा अर्चना और रुद्राभिषेक करने से अत्यन्त लाभदायक फल मिलता है।


मंदिर परिक्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में भक्त रुद्राभिषेक कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए शांति पूजन आदि कर रहे हैं। मंदिर में नाग पंचमी अवसर पर देश के कोने-कोने से लोग पूजा प्रदर्शन के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि नाग वासुकी के चौखट पर पूजा करवाने से कालसर्प दोष खत्म होता है।इस मंदिर में पूजन के अलग विधि-विधान है जो यहां पर उपस्थित पुरोहित कराते हैं।

नाग वासुकी मंदिर प्राचीन काल से यहां स्थापित है। मंदिर की स्थापना कि कोई भी तिथि मंदिर में कहीं अंकित नहीं है।मंदिर के महंत राजेंद्र त्रिपाठी जी ने बताया की है तीर्थराज प्रयाग में 33 करोड़ देवी देवताओं के आवाहन पर शेषनाग स्वरूप में विराजमान है प्रयाग में माघ मास के दौरान कल्पवास करने वाले भक्तों को एक माह में पंचकोसी परिक्रमा करनी अनिवार्य होती है इस दरमियान पंचकोसी परिक्रमा का प्रारंभ नाग बास्की प्रदर्शन और पूजन के बाद ही प्रारंभ होता है दूर दराज से आए तीर्थ यात्रियों के लिए संगम स्नान के बाद नाग वासुकी मंदिर का दर्शन और पूजन विशेष महत्व रखता है।



प्रयाग स्थित नाग वासुकी मंदिर में यह मान्यता है कि यहां मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग वासुकी मंदिर में मंदिर के चौखट की पूजा का विशेष महत्व है मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा पुत्र भीष्म पितामह की विशालकाय शयन मुद्रा में मूर्ति स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान कर भीष्म पितामह के दर्शन के बाद नाग बासकी मैसेज नाग का दर्शन पूजन और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
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