पैसा उठाते हैं, पहनते नहीं वर्दी
जयपुरPublished: Oct 29, 2015 01:58:00 pm
उदयपुर. उदयपुर कलक्ट्री के अलावा ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में वर्दी में नहीं दिखते कर्मचारी
जिले में कलक्ट्री और अदालतों के अलावा ज्यादातर सरकारी विभागों में चतुर्थ श्रेणी व अन्य संबंधित कर्मचारी निर्धारित वर्दी नहीं पहनते। अपनी पहचान बताने वाली वर्दी के लिए उन्हें सालाना राशि मिलती है लेकिन वे प्राय: सादा वस्त्रों में ही नजर आते हैं। एेसे में न सरकार की मंशा पूरी हो पा रही है, न वर्दी पर खर्च की जा रही राशि का असर दिख रहा है। नियमानुसार सभी सरकारी कार्यालयों में तैनात चतुर्थ श्रेणी एवं तकनीकी कर्मचारियों को वर्दी पहनना अनिवार्य है। राजकीय चिकित्सालयों में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय, आशा सहयोगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आबकारी विभाग के कार्मिकों, पुलिस, मेडिकल कॉलेज एवं अन्य अद्र्धसरकारी परियोजनाओं में कार्यरत कार्मिकों को भी तय वेशभूषा में रहना जरूरी है। चिकित्सालयों में रोगियों की सुविधा के लिए लगे वार्ड बॉय जैसे कार्मिकों पर ड्रेस कोड लागू है। उच्चाधिकारियों से मिलने के लिए चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के लिए भी ड्रेस कोड लागू है।
खुद अधिकारी ही गैर जिम्मेदार : राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि डिप्टी डायरेक्टर शिक्षा, डिप्टी डायरेक्टर चिकित्सा, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, राजकीय चिकित्सालय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम सहित अन्य विभागीय कार्यालयों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ड्रेस कोड से गुरेज कर रहे हैं। एमबी चिकित्सालय में अधिकांश फार्मासिस्ट, ग्रामीण इलाकों के चिकित्सक एवं लैब सहायक भी एप्रिन पहनने से बचते दिखते हैं। आए दिन अधीनस्थ कार्यालयों में निरीक्षण पर जाने वाले अधिकारी भी संबंधित कार्मिकों से उनकी ड्रेस को लेकर कोई सवाल नहीं करते। ऐसे में सरकारी कार्यालयों में व्यवस्थाओं का ढर्रा बिगड़ता जा रहा है।
हर साल लाखों खर्च करती है सरकार
विभागों से ही मिले दस्तावेजों एवं बिलों पर गौर करें तो सरकार हर वर्ष लाखों रुपए का भुगतान केवल ड्रेस कोड पर करती है। यह भुगतान वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले फरवरी एवं मार्च माह में उठाया जाता है। वर्ष 2014-15 में आरएनटी मेडिकल कॉलेज में ड्रेस कोड के नाम पर चार लाख 57 हजार 850 रुपए, माइंस एंड ज्योलॉजिकल विभाग में एक लाख 91 हजार 802, आबकारी विभाग में 51 हजार 576 रुपए का भुगतान उठाया गया। वित्त वर्ष 2015-16 में यह भुगतान क्रमश: तीन लाख 27 हजार 750, एक लाख 83 हजार 944 एवं शून्य रहा।
टोकते तो हैं, जारी भी हैं सुधार के प्रयास
ड्यूटी के दौरान विभागीय चिकित्सकों पर एप्रिन पहनने की अनिवार्यता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी आए दिन टोकते हैं। सुधार के प्रयास जारी हैं।
डॉ. संजीव टांक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, उदयपुर