पुरुष प्रधान समाज में देश की आधी आबादी महिलाओं को हमेशा से दबा कर रखने की परंपरा रही है, लेकिन अब इसी आधी आबादी को उनके अधिकारों और उन्हें न्याय दिलाने के लिए इसी समाज की बहुत सी बेटियां आगे आ रही है।
ambedkar nagar
अम्बेडकर नगर। पुरुष प्रधान समाज में देश की आधी आबादी महिलाओं को हमेशा से दबा कर रखने की परंपरा रही है, लेकिन अब इसी आधी आबादी को उनके अधिकारों और उन्हें न्याय दिलाने के लिए इसी समाज की बहुत सी बेटियां आगे आ रही है। ये बेटियां उच्च शिक्षा के साथ ही कानून की पढाई करके कोई जज तो कोई अच्छा वकील बनने का जज्बा संजोये हैं। जिनमे बड़ी संख्या में मुस्लिम बेटियां भी शामिल हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है, जिसमे महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा न मनवाया हो।
अम्बेडकर नगर जिले में कानून की पढ़ाई के लिए गत वर्षों में दो लॉ कालेज की स्थापना हुई है। पहले लॉ की क्लासों में दो चार छात्राएं ही पढ़ाई करने के लिए जाति थीं लेकिन बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियां भी कानून की पढ़ाई करके कोई जज बनना चाहती है तो कोई अच्छा वकील और इसी के माध्यम से अपने हक़ और अधिकार को लेने के साथ ही महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की लड़ाई भी लड़ना चाहती हैं। ख़ास बात तो यह है कि हिन्दू बेटियों के साथ ही मुस्लिम समाज की बेटियां भी बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में आगे आ रही हैं।
जिले के टांडा कस्बे में स्थित त्रिलोक नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रमेश चन्द्र पाठक का कहना है कि उनके कालेज में विधि की परीक्षा का सेंटर पड़ा हुआ है, जिसमे बड़ी संख्या में लड़कियां परीक्षा देने आ रही हैं, जिससे साफ़ पता चल रहा है कि बदलाव का समय चल रहा है। उन्होंने बताया कि उनके कालेज में भी अब पहले की अपेक्षा लड़कों की संख्या के मुकाबले लड़कियां अधिक संख्या में पढने के लिए आती हैं। इससे यह स्पष्ट है कि बहुत दिन तक अब महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है और वे अपना अधिकार ले कर रहेंगी।
कानून की पढ़ाई कर रही इन बेटियों का जज्बा आप भी देखिये, जिनका साफ़ तौर पर मानना है कि अब वे समाज में महिलाओं को उनका हक और न्याय दिलाने के लिए आगे बढ़ रही हैं। मुस्लिम समाज की ये बेटियां खुले आम यह बात मानती हैं कि उन्हें उनके ही घर में सबसे ज्यादा बंदिशों का सामना करना पड़ता है और पर्दा प्रथा की आड़ में उन्हें आगे बढ़ने से रोका जाता है। कानून की पढ़ाई कर रही आलिया जाफरी कहती हैं कि उनके समाज में बंदिशें कुछ ज्यादा ही हैं और मुस्लिम लड़कियों को घर से बाहर या नौकरी करने से रोका जाता है। उन्हें पर्दे में रहने को मजबूर किया जाता है। इनका कहना है कि इस्लाम के दायरे में रहकर भी मुस्लिम समाज की लड़कियां सभी क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। ये बेटियां अब महिलाओं के लिए एक रास्ता भी बन रही हैं और कानून की पढ़ाई करके लोगों न्याय और हक़ दिलाएंगी।
न सिर्फ मुस्लिम बेटियां बल्कि हिन्दू लड़कियां भी समाज के पुरुष प्रधान होने पर अपना ऐतराज जताती हैं। जिनका कहना है कि हर जगह उन्हें यह एहसास कराया जाता है कि वे कमजोर हैं और उनकी जगह घर के अंदर ही है, जबकि वे देश के विकास में पूरा सहयोग करने में सक्षम है। कानून की पढ़ाई कर रही स्वेता मिश्रा का कहना है कि कानून की पढाई करके वे महिलाओं की लड़ाई लड़ेगी और पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की लड़ाई लड़ कर उन्हें घरेलू हिंसा से बचाने के साथ ही उनका शोषण भी रोकेंगी और उन्हें अधिकार दिलाने का काम करेंगी।
स्वागत कर रहे हैं लोग लड़कियों के इस कदम का
महिलाएं के अधिकारों का हनन के लिए वास्तव में पुरुष मानसिकता दोषी है, लेकिन बहुत सारे पुरुष भी महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय से सहमत नहीं हैं और आज जब इन लड़कियों के कानून की पढाई कर बदलाव की बात ऐसे लोग देखते हैं तो वे काफी खुशी भी जाहिर कर रहे हैं। कई बुद्धजीवी लोग समाज में लड़कियों द्वारा इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। जिनका कहना है कि इन लड़कियों का प्रयास आने वाले दिनों में निश्चित एक बड़ा बदलाव लाएगा।