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जीपीएस सेंसर के जरिए स्मार्टफोन पर बजेगी भूकंप की घंटी 

Published: Apr 28, 2015 07:46:00 am

स्मार्टफोन के जीपीएस रिसीवर की मदद से भूगर्भीय परतों में फॉल्ट व परमानेंट ग्राउंड डिस्प्लेसमेंट की पहचान संभव है

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जब भी भूकंप आता है तो मन में पहला सवाल यही उठता है कि क्या कोई ऎसा तरीका नहीं जिससे लोगों को समय रहते पहले ही आगाह किया जा सके। ऎसी किसी पुख्ता तकनीक को लेकर फिलहाल कोई वैज्ञानिक दावा उपलब्ध नहीं है, लेकिन जमीन के नीचे की अनष्टिकारी हलचल को भांप लेने की कोशिशें दुनियाभर में जारी हैं।

जीपीएस सेंसरों ने भांप कर चेताया
अमरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग व अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने परीक्षण के दौरान कैलिफोर्निया के भूकंप क्षेत्र व 2011 में जापान में आए 9 तीव्रता के भूकंप के आंकड़ों के आधार पर कम्प्यूटर पर 7 तीव्रता का काल्पनिक भूंकप पैदा किया। इसमें करीब पांच हजार लोगों के स्मार्टफोन से मिले भूगर्भीय हलचल के संकेतों का विश्लेषण करके तेज झटके शुरू होने से पहले ही चेतावनी भेज दी गई। स्मार्टफोन ने जमीन के भीतर एक सेंटीमीटर तक के क्षेत्र में हुई हलचल की पहचान कर ली।

एक मिनट पहले तक का अलर्ट संभव
परीक्षण से जुड़ी मुख्य वैज्ञानिक साराह मिन्सन के मुताबिक स्मार्टफोन के जीपीएस रिसीवर की मदद से बड़े भूकंप के समय भूगर्भीय परतों में फॉल्ट व परमानेंट ग्राउंड डिस्प्लेसमेंट की पूर्व पहचान संभव है। जीपीएस सेंसरों से भूकंप के शुरूआती तेज झटके देने वाली पी-तरंगों और उसके बाद तबाही लाने वाली धीमी सतही तरंगों एस-वेव्स के आने के पहले पांच सेकेण्ड से एक मिनट पूर्व यह चेतावनी दी जा सक ती है। अलर्ट से यातायात रोक व इमारतें खाली करा हानि से बच जा सकता है।

एक ही दिशा में इशारा यानी खतरा
यदि कुछ ही फोन के जीपीएस रिसीवर अचानक किसी एक दिशा की तरफ इंगित कर रहे हैं तो यह संभवत: भूकंप का संकेत नहीं होगा। लेकिन यदि कुछ हजार फोन के जीपीएस रिसीवर एकसाथ किसी दिशा की तरफ संकेत दे रहे हैं तो यह किसी बड़ी भूगर्भीय हलचल का इशारा माना जाएगा बड़े भूकंपों के समय धरती कई फीट ऊपर या लम्बवत खिसक जाती है। इस सतही हलचल के आधार पर फोन बता सकते हैं कि यह सब किस जगह और कितनी तीव्रता के साथ हो रहा है।

बड़े भूकंपों में उपयोगी
ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के प्रो. क्रेग ग्लैनी कहते हैं कि ऎसे उपकरणों से 7 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंपों की चेतावनी संभव है। इ लेक्ट्रॉनिक तरंगों की गति भूकंप की कंपन तरंगों से तेज होती है और ये पहले पहुंचती हैं। नासा की वैज्ञानिक सुसान ओवेन कहती हैं बड़े भूकंप, जिनमें बड़े स्तर पर भूगर्भीय हलचल होती है तो एकसाथ कई स्मार्टफोन से मिलने वाले संकेतों के आधार पर इतना तो माना जा स कता है कि कहीं भूकंप आया है और क्षेत्र में चेतावनी की जरूरत है। 
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