ट्रंप का मानना है कि यदि रूस मददगार साबित होता है तो उस पर लगे प्रतिबंधो को हटा सकता है।
वॉशिंगटन। अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘द वॉल स्ट्रीट जनरल’ को दिए एक इंटरव्यू में अपनी मंशा जाहिर करते हुए रूस के साथ संबंध सुधारने के संकेत दिए है। ट्रंप का मानना है कि यदि रूस मददगार साबित होता है तो उस पर लगे प्रतिबंधो को हटा सकता है। ट्रंप ने यह भी संकेत दिए हैं कि ताइवान को नजरअंदाज कर अमरीका की वन चाइना पॉलिसी पर फिर से विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि चीन अपनी मुद्रा नीति और व्यापार में परिवर्तन नहीं करता है तो वह वन चाइना पॉलिसी को बरकरार नहीं रखेंगे।
प्रतिबंध हटाने को लेकर ट्रंप का तर्क
ट्रंप ने शुक्रवार को जनरल में छापे एक घंटे की इंटरव्यू में कहा, ‘यदि कोई अच्छा काम कर रहा है और आपका साथ देने के लिए तैयार है तो फिर रूस के खिलाफ खिलाफ प्रतिबंध का कोई औचित्य नहीं बनता।’ ट्रंप ने कहा कि यदि रूस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मददगार साबित होता है तो वह कुछ समय बाद ओबामा प्रशासन द्वारा दिसंबर में चुनाव के दौरान कथित साइबर हैकिंग मामले में रूस पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लेगा।
पुतिन से मिलने की इच्छा जाहिर की
ट्रंप ने यह भी कहा कि 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद का शपथ लेने के बाद वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि वे मुझसे मिलना चाहते हैं और यह मेरे लिए अच्छी बात है।’ ट्रंप ने पुतिन की तारीफ की और अनिच्छा से अमेरिकी खुफिया विभाग की उस रिपोर्ट को स्वीकार किया जिसमें कहा गया था कि रूसी हैकर्स ने पुतिन के आदेश पर अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया।
वन चाइना पॉलिसी में बदलाव के संकेत
ताइवान को नजरअंदाज कर दशकों से बीजिंग से साथ अमरीका की वन चाइना पॉलिसी पर ट्रंप ने कहा, ‘वन चाइना समेत हर चीज पर वार्ता की जा रही है।’ राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ट्रंप को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने फोन पर बधाई दी थी। ट्रंप द्वारा बधाई स्वीकार किए जाने को लेकर वह चीन को पहले ही नाराज कर चुके हैं।
ट्रंप ने जर्नल को दिए साक्षात्कार में इस कदम का बचाव करते हुए कहा, ‘हमने पिछले साल उन्हें दो अरब डॉलर के सैन्य उपकरण बेचे। हम उन्हें दो अरब डॉलर के आधुनिक सैन्य उपकरण बेच सकते हैं लेकिन हमें फोन कॉल स्वीकार करने की इजाज़त नहीं है। पहली बात तो यह है कि फोन पर बात नहीं करना बहुत ही अशिष्ट व्यवहार होता।’