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IS के खिलाफ इराक-सीरिया में स्पेशल आर्मी तैनात करेगा अमरीका

Published: Dec 02, 2015 11:45:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

अमरीका ने कहा है कि वह इराक और पड़ोसी देश सीरिया में इस्लामिक स्टेट
(आईएस) के खिलाफ सेना के विशेष अभियान बलों की तैनाती कर रहा है

american special army

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वॉशिंगटन। अमरीका ने कहा है कि वह इराक और पड़ोसी देश सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ सेना के विशेष अभियान बलों की तैनाती कर रहा है। दूसरी ओर अमरीका की इस पहल का इराक के शिया मुस्लिम गुटों ने विरोध किया है। अमरीका के रक्षा मंत्री एश कार्टर ने कहा कि इराकी सरकार के साथ समन्वय के बाद ही विशेष अभियान दलों को वहां भेजा जा रहा है। ये दल इराकी सुरक्षा बलों और कुर्दिश पेशमर्गा लड़ाकों को सहयोग देंगे।

मुस्लिम गुटों ने अमरीकी पहल का किया विरोध

कार्टर ने प्रतिनिधि सभा की सैन्य बल सेवा समिति को बताया कि ये विशेष दस्ते इराक में आईएस के खिलाफ हमले करने, बंधकों को रिहा कराने, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और आईएस के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा, यह दस्ते इराक में भी एकतरफा अभियान करने की स्थिति में होंगे। इराक में शिया मुस्लिम गुटों ने अमरीका की इस पहल का विरोध करते हुए कहा है कि उनके देश में विदेशी सेनाओं की मौजूदगी को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे और अमरीकी सेनाओं को निशाना बनाया जाएगा।

इराक ने नहीं दी सकारात्मक प्रतिक्रिया
अमरीका की इस पहल पर इराक सरकार ने भी कोई बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने जारी बयान में जोर देकर कहा है कि इराक में जमीनी लड़ाई में बाहरी मुल्कों की सेनाओं की कोई जरूरत नहीं है और इराक में विदेशी सेनाओं की मौजूदगी इराकी सरकार की मंजूरी के बिना किसी कीमत पर नहीं हो सकती है। इराक में शिया मुस्लिमों के शक्तिशाली सशस्त्र गुटों ने अमरीका की इस पहल की जोरदार मुखालफत की है।

अमरीकी सेनाएं हमारा पहला निशाना: आतंकी संगठन
इराकी शिया आतंकवादी संगठनों में से एक कताइब हिज्बुल्ला के प्रवक्ता जफर हुसैनी ने कहा कि अमरीकी सेनाएं हमारा पहला निशाना होंगी। हम पहले भी उनके खिलाफ लड़ चुके हैं और फिर से उनके खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। ओबामा प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि कार्टर के इराक में अमरीकी सेनाओं के तैनाती संबंधी बयान से पहले ही इराक के साथ इस योजना के बारे मे विचार विमर्श किया गया था और वहां की सरकार इसके लिए तैयार भी हो गई थी।

आईएस के खिलाफ अमरीकी के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के हमले और तेज करने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पर दबाव पहले ही काफी अधिक था जो पेरिस में 13 नवंबर को हुए आतंकवादी हमले के बाद तो और अधिक बढ़ गया है। ओबामा अभी तक अमरीकी सेनाओं को बड़ी संख्या में उतारने के बजाए सीमित संख्या में सलाहकारों और विशेष बलों की तैनाती करने के पक्ष में थे। अमरीकी विदेश विभाग में सीरिया मामले के सलाहकार रह चुके फ्रेड हॉफ के अनुसार इराक में आईएस के खिलाफ हमले करने और खुफिया जानकारियां हासिल करने के लिए नियोजित तरीके से अमरीकी सेनाओं की तैनाती किए जाने का यह फैसला ओबामा के पहले के रूख में बदलाव का परिचायक है।

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