अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक जान ब्रेनन के व्यक्तिगत ईमेल को हैक कर विकिलीक्स ने उन खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है, जिनसे पता चलता है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में भारतीय हितों पर प्रहार करने के लिए तालिबान का इस्तेमाल किया।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक जान ब्रेनन के व्यक्तिगत ईमेल को हैक कर विकिलीक्स ने उन खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है, जिनसे पता चलता है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में भारतीय हितों पर प्रहार करने के लिए तालिबान का इस्तेमाल किया।
‘अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संबंध में मुख्य जानकारियां और अनुशंसाओं का कार्यकारी संग्रह’ कहलाने वाले इन खुफिया दस्तावेजों को सीआईए के पूर्व प्रमुख ने नवनियुक्त राष्ट्रपति बराक ओबामा को पूरी जानकारी देने के लिए वर्ष 2008 में तैयार किया था।
इन दस्तावेजों में यह भी बताया गया है कि भारत और ईरान पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान के लिए तालिबान का समर्थन जरूरी हो गया था। इन दस्तावेजों से साफ है कि भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान ने तालिबान का इस्तेमाल किया। अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव को किसी भी कीमत पर कम करने के लिए पाकिस्तान तालिबान की मदद लेने से भी नहीं हिचकिचाया।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के क्षेत्र में अमेरिकी सेनाओं के युद्ध में शामिल होने की कड़ी समीक्षा करते हुए ब्रेनन ने इस क्षेत्र के लिए एक विशेष समन्यवयक की नियुक्ति की सिफारिश की थी, जो अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव को लेकर पाकिस्तान की चिंताओं को कम करने के लिए काम करे।
ब्रेनन ने यह साफ कर दिया था कि अफगानिस्तान में पहुंचने के लिए पाकिस्तान से होकर जाने वाले रास्तों के अलावा और कोई रास्ता नहीं है और पाकिस्तान जब तक अफगानिस्तान में घुसने के लिए अपनी जमीन के रास्ते जाने की इजाजत नहीं देता है तब तक अफगानिस्तान में किसी और रास्ते से प्रवेश करना संभव नहीं है।
अफगानिस्तान में अलकायदा और तालिबान से लड़ रही अमेरिकी और नाटो सेनाओं को तेल और खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए इसके अलावा और कोई व्यावहारिक रास्ता नहीं है। ब्रेनन ने अमेरिकी सेनाओं पर हमले कर रहे तालिबानियों से पाकिस्तानी सेना को अलग करने में सफलता नहीं मिलने पर अपनी निराशा को भी स्पष्ट किया।