कोतमा। कोयलांचल क्षेत्र के बसखली, निगवानी, डोंगरिया कला सहित दर्जनों गांवों में जमकर अवैध खनन का काम किया जा रहा है। खनन माफियाओं द्वारा जंगल एवं राजस्व की भूमि को भी खोदकर धरती का सीना छलनी कर रहे हैं। वहंीं खनन के बाद निकले पत्थरों व मुरमों को शासकीय कामों के साथ स्थानीय क्रेशरों में भी खपाया जा रहा है। लेकिन जंगल व राजस्व भूमि के खनन में खनिज विभाग की मिलीभगत के कारण विभाग ऐसे खनन माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार जब भी कोई कार्रवाई की जाती है तो खनन माफियाओं के इशारे पर छोटी कार्रवाई कर कागजी खाना पूर्ति करा दी जाती है। इससे खनन माफियाओं को लाभ तो होता ही है साथ ही विभाग के कागजी कार्रवाई भी पूरी हो जाती है।
क्रेशरो की संख्या में हुआ इजाफा- जानकारी के अनुसार क्षेत्र में पहले जहां दो से तीन क्रेशर नजर आते थे वहीं अब अवैध खनन द्वारा मिल रही सस्ती पत्थरों के कारण दर्जनों क्रेशर आसपास नजर आने लगे हैं। जिसमें क्षेत्र के खनन माफियाओं द्वारा खनन से निकाली गई पत्थरों को क्रेशरों के पास डम्प किया जाता है। तथा उससे बनी गिट्टियों को उंचे दामों पर आसपास के क्षेत्रोंं में बेचा जा रहा है।
क्षेत्र बना खनिज माफियाओं के लिए सुरक्षित स्थल- कोतमा क्षेत्र के आसपास लगे गावों में आए दिन नए नए स्थानों पर खनन का काम किया जा रहा है। जिनमें वर्तमान में बसखली गांव स्थित रोड के किनारे ही दिनदहाड़े काले पत्थरों की खुदाई कर पत्थरों को निकालने का काम जोरों पर चल रहा है। इसके अलावा पैरीचूहा, निगवानी, रेउला, मौहरी, सहित अन्य स्थानों पर माफियाओं द्वारा बारूद का उपेयाग कर पत्थरों को तोड़ा जा रहा है।
शिकायत से लगता है डर- स्थानीय पत्रकार द्वारा शिकायत की बात पूछे जाने पर ग्रामीणों ने कहा कि अगर गांव वाले इसकी शिकायत करते है तो माफियाओं द्वारा उनके साथ र्दुव्यवहार किया जाता है। इसलिए चाहकर भी इसकी शिकायत विभाग या पुलिस से नहीं करते हैं।