scriptब्लड ग्रुप मेल नहीं खाने वाले किडनी दानकर्ता-प्राप्तकर्ताओं के लिए एप्प लांच  | App launched for kidney donors-recipients whose blood groups don't match | Patrika News

ब्लड ग्रुप मेल नहीं खाने वाले किडनी दानकर्ता-प्राप्तकर्ताओं के लिए एप्प लांच 

Published: Jun 29, 2017 03:33:00 pm

किडनी फेलियर और इनकम्पैटिबल डोनर्स की समस्या से जूझ रहे मरीजों की मदद के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन (एप्प) यहां लांच किया गया है।

kidney failure with incompatible donors

kidney failure with incompatible donors

चंडीगढ़। किडनी फेलियर और इनकम्पैटिबल डोनर्स की समस्या से जूझ रहे मरीजों की मदद के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन (एप्प) यहां लांच किया गया है। मशहूर किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन एवं यूरोलोजिस्ट डॉ प्रियदर्शी रंजन और चंडीगढ़ किडनी फाउंडेशन के इस एप्प आईकिडनी या इनकम्पैटिबल किडनी के जरिए जरूरतमंद लोगों को किडनी मिलना आसान हो जाएगा। 

इस एप्प को सांसद किरण खेर ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में लॉन्च किया। इस एप्प से सिर्फ क्षेत्र के बल्कि देश भर के उन किडनी फेलियर वाले उन मरीजों को लाभ पहुंचेगा जिनके पास परिवार के भीतर किडनी डोनर तो हैं, लेकिन ब्लड ग्रुप मैच न होने और टिशू इनकम्पैटिबिलिटी के चलते ट्रांस्पलांट नहीं हो पा रहा है। एप्प लॉन्च करते हुए श्रीमती खेर ने कहा कि ऐसे मरीजों के लिए ये एप्प एक वरदान से कम नहीं है क्योंकि हाल ही में मानव अंग प्रत्यारोपण कानून में संशोधन लाया गया है और इससे इस समस्या का हल और आसान हो जाएगा।

ये एप्प देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपनी तरह की पहली एप्प है। किडनी फेलियर के बढ़ते मरीजों के मद्देनजऱ इससे जुड़े स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के संस्थानों पर भारी दबाव देखने को मिला है। डायालिसिस के जरिए हालांकि एंड स्टेड रीनल फेलियर (ईएसआरएफ) का मध्यवर्ती प्रबंधन होता रहा है लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट ज्यादातर ग्रहण करने योग्य मरीजों के लिए उपचार का प्रमुख विकल्प रहा है। डॉ रंजन के मुताबिक इससे न सिर्फ जीवनस्तर में सुधार होता है, बल्कि जीवित रहने की संभावना भी बढ़ जाती है। डॉ रंजन चंडीगढ़ किडनी फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं और फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में किडनी ट्रांसप्लांट कंस्लटेंट भी हैं। 

किडनी प्रत्यारोपण के लिए दानकर्ता और प्राप्तकर्ता के ब्लड ग्रुप और टिशू का मेल खाना जरूरी है लेकिन ब्लड ग्रुप और टिशू इनकम्पैटिबिलिटी के चलते ये मुमकिन नहीं हो पाता। डॉ रंजन के मुताबिक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आने वाले मरीजों में से 25 फीसदी को इनकम्पैटिबिलिटी के चलते ट्रांसप्लांट से महरूम रहना पड़ता है यानी हर चौथे किडनी ट्रांसप्लांट दानकर्ता-प्राप्तकर्ता जोड़े में इनकम्पैटिबिलिटी की समस्या मौजूद रहती है। 




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