नई दिल्ली। जल्द ही एपल स्टोर और गूगल प्ले स्टोर से मोबाइल एप्स डाउनलोड करना महंगा हो जाएगा। दरअसल दिसंबर के अंत तक नई सरकारी गाइडलाइन लागू हो सकती हैं। इसके बाद मोबाइल एप्स खरीदने वाले उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
टैक्स की वजह से होंगे महंगे
वर्तमान में भारत के बाहर रजिस्टर्ड ऑनलाइन विज्ञापन करने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों को करीब 6 प्रतिशत तक टैक्स भरना होता है। मगर टैक्स की दरों में बढ़ोतरी होने पर ये दर 7 से 8 फीसदी तक हो जाएगी। टैक्स की दर बढऩे से ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ेगा, जो गूगल और एपल जैसी कंपनियों से ऐप्स खरीदते हैं। दरअसल केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड की एक कमेटी ने इसी साल मार्च माह में इसी तरह के सुझाव दिए थे। उसके बाद जून के महीने से मल्टीनेशनल कंपनियों ने बढ़ी हुई दर के हिसाब से भुगतान करना भी शुरू कर दिया था।
एप आएंगे ट्रांजेक्शन की श्रेणी में
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को सिर्फ एक सर्कुलर ही जारी करना है, जिसके बाद मोबाइल ऐप्स डिजिटल ट्रांजेक्शन की श्रेणी में आ जाएंगी। ध्रुवा एडवाइजर के टैक्स कंस्लटेंसी पार्टनर अजय रोटी कहते हैं कि सरकार अपने नुकसानों की वसूली करने को टैक्स बढ़ा सकती है।
कंपनियों को भरना होगा टैक्स
यहां ऑनलाइन का मतलब ऐसी कोई भी जानकारी जो डिजीटल नेटवर्क के जरिए हम तक पहुंच रही हो। इस समय वो कंपनियां भी उलझन में हैं जो टेलीविजन के जरिए विज्ञापन करती हैं। ध्रुवा की एक रिपोट के अनुसार भारत में करीब 33 प्रतिशत कंपनियां मल्टीनेशनल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए अपना विज्ञापन कर रही हैं। डिजिटल इकोनोमी में आने वाली सभी मल्टीनेशनल कंपनियां अपने टैक्स ठीक तरह से भर रही है।
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