गूगल के प्रवक्ता के अनुसार गूगल फोटोज की ऑटोमैटिक लैबलिंग में अभी भी बहुत सारा काम किया जाना शेष है। गूगल की कोशिश है कि इस तरह की वाहियात गलतियां भविष्य में ना हों।
ऐसे सामने आई गूगल फोटोज की गलती
21 साल के प्रोग्रामर जैकी एलसिने अपने गूगल फोटोज अकाउंट में फोटोज चैक कर रहे थे। उन्होंने देखा कि गूगल ने गौरिल्ला नाम से एक फोल्डर बना हुआ है। इसमें केवल उसके अफ्रीकन-अमरीकन दोस्तों की ही फोटोज थे। ये फोटोज 2013 में लिए गए थे।
एलसिने का कहना है कि हालांकि गूगल ने तुरंत इस गलती को ठीक कर लिया, लेकिन इस गलती से बचा जा सकता था अगर ऐसा सिस्टम बनाया जाता जिसमें ज्यादा डार्क त्वचा के लोगों को आसानी से पहचाना जा सकता।
Flickr, HP भी कर चुके हैं ऐसी ही गलती
ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी इमेज रिकगनिशन सोफ्टवेयर ने काले रंग की त्वचा वाले लोगों को पहचानने में गलती की है। इससे पहले HP और Flickr ने भी इसी तरह की गलतियां की थीं। असल में अब तक ऐसा कोई सोफ्टवेयर नहीं आया है जो काले रंग की त्वचा वाले लोगों को ठीक से पहचान सके।
ऐसे काम करता है गूगल फोटोज का लेबल
गूगल में जो भी फोटोज आप डालते हैं, गूगल उसको अपने फोटो पहचानने वाले सोफ्टवेयर से पहचान कर एक लेबल देता है। यानि की एक ही तरह की फोटोज को वह अलग-अलग नाम के फोल्डर में डाल देता है।