कालू उर्फ इस्लामुद्दीन हत्याकांड: खुशियों से पहले पसरा मातम
कालू के निकाह की चल रही थी बात, ढांढस बंधाने वालों का लगा रहा तांता
घर में छाई खुशियां पलभर में मातम में बदल गई। परिजन कालू के निकाह का सपना बुन रहे थे, लेकिन इससे पहले ही बेटे का जनाजा उठाना पड़ेगा, परिजनों ने यह सपनों में भी नहीं सोचा था।
सोच-सोच कर पिता मुश्ताक और दादा की रह-रह कर आंखें भर आ रही हैं। परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं रहे। गुलजार नगर में रविवार को कालू के घर पर ढांढस बंधाने वालों का तांता लगा रहा।
पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने भी घर पहुंच कर परिजनों को ढांढस बंधाया। पिता मुश्ताक ने बताया कि बेटे के निकाह के लिए रिश्तेदारी में लड़की तलाश रहे थे। चाहते थे जल्द से जल्द छोटे बेटे कालू का निकाह हो जाए, ताकि जिम्मेदारी से मुक्ति मिलें।
दादा की आंखों का नूर था
कालू उसके दादा की आंखों का नूर था। नब्बे वर्षीय दादा को समय पर खाना खिलाना, नमाज के लिए ले जाना, दैनिक कर्म से निवृत्त करने का काम कालू ही करता था। पोते की मृत्यु से दादा सदमे में है। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे, वहीं मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
सुपुर्द ए खाक
महात्मा गांधी चिकित्सालय स्थित मोर्चरी में शनिवार रात दस बजे पोस्टमार्टम के बाद शव घर पहुंचा। घर पहुंचते ही वहां कोहराम मच गया। आधी रात बाद शव सुपुर्द ए खाक किया गया।