रबी की तैयारी में जुटे किसान, खेतों को साफ करने का दौर शुरू, दो लाख 85 हजार हेक्टेयर रखा गया है बोवनी का लक्ष्य
अशोकनगर. किसानों ने रबी सीजन के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। खाद-बीज की खरीदी के साथ ही खेतों को साफ करने का दौर चल रह है। वहीं कृषि विभाग भी रबी सीजन के लिए तैयार हो गया है। इस वर्ष 02 लाख 85 हजार हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा है। लगातार मौसम की मार और फसलों में नुकसान झेल रहे किसानों को खरीफ सीजन में भी निराशा हाथ लगी थी। उत्पादान कम होने के कारण खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। कम बारिश और बदलते मौसम के मिजाज को देखते किसानों को खेती में उपलब्ध संसाधनों के हिसाब से खेती करनी होगी और उन्नत बीजों का उपयोग करना होगा।
रबी की फसल को बचाने के लिए किसानों के लिए जरूरी है कि वे अपने खेत में उन्नत किस्म के बीज डालकर कम समय में अच्छा उत्पादन प्राप्त करें। किसानों को कम पानी में उत्पादन देने वाली फसलों का चयन करना होगा।ताकि नुकसान कम और उत्पादन अधिक प्राप्त हो सके। कृषि वैज्ञानिक हेमंत त्रिवेदी ने बताया कि जिन किसानों के पास एक-दो पानी की सुविधा है वे गेहूं की कम पानी में अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में लगा सकते हैं।इनमें एचआई 1500, एचआई 1531 (हर्षिता), मालवा कीर्ति, मालवा रतन एवं सी 306 (सुजाता) शामिल हैं।ये किस्में कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती हैं।
जिन किसानों के पास खेतों में देने के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था हैऔर वे तीन से पांच बार खेतों में पानी दे सकते हैं, उनके लिए गेहूं की एचआई1544, मालवा शक्ति, जीडब्ल्यू 322, जी डब्ल्यू 366, एमपी 1203 किस्में अच्छी रहेंगी।किसान भाईपानी की उपलब्धता के आधार पर बीज का चयन करें।
चना बोने वाले किसान भाईयों के लिए सबसे अधिक समस्या उघरा की होती है। इससे चने को नुकसान पहुंचता है।इस नुकसान से बचने के लिए किसान भाईचने की उघरा प्रतिरोधी किस्मों की बुवाईकरें।इनमें जेजी 11, जेजी 14, जेजी 16, आरबीजी 101 व विशाल शामिल हैं।चने की इन किस्मों में उघरा की संभावना कम होती है और ये अच्छा उत्पादन देती हैं। चने की बोवनी थोड़ी लेटकरें तो उघरा का खतरा और कम होगा। इसके अलावा खेत में ट्रायकोड्रमा पाऊडर मिलाकर कंपोस्ट खाद डालने से भी इसका खतरा कम होता है। दो क्विंटल खाद में पांच किग्रा पाऊडर मिलाकर डालें।
जो किसान भाई खेत में सरसों की फसल लेना चाहते हैं, वे सरसों की उन्नत किस्म का उपयोग करें।किसान सरसों की एनआरसी-एच 101, जेएम-3, जेएम-2, आरएच 459, जेबीएम 2, वरुणा व लक्ष्मी किस्मों से चयन कर सकते हैं। ये किस्में अधिक उत्पादन देती हैं। किसान भाई एक दो दिन में ही सरसों की बोवनी कर लें। वहीं मसूर में नूरी व जेएल-3 बेहतर होंगी।
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि अच्छा उत्पादन लेने के लिए बोवनी से पहले बीजोपचार आवश्यक है।बीजोपचार के बाद ही बोवनी करें। गेहूं व चने के बीजों के लिए थायरेम एवं कार्बेक्सिन का मिश्रण बनाकर बीजोपचार करें।गेहूं के बीजोपचार के लिए टेबूकोनाजोल 4.5 एथेस मिलाकर बीजोपचार करें। इसके अलावा थायोकनेट मिथाइल व पायरोक्लोन्विल (झलोरा) के मिश्रण से भी बीजोपकार कर सकते हैं। सरसों के बीज के लिए रिडोमिल से बीजोपचार करें।
कृषि वैज्ञानिक बताया कि यह समय आलू की बोवनी के लिए भी अच्छा है।आलू की जल्दी आने वाली किस्में अभी बोकर किसान बाद में गेहूं या धनिया भी लगा सकते हैं।आलू की चिपसोना-1,2 या 3, कुपरी रतन, कुपरी अलंकार आदि किस्में बो सकते हैं। ये किस्में 60-65 दिन में आ जाती हैं।