scriptकम्पयूटर से चेहरे में परिवर्तन हो सकता है लेकिन दपर्ण में नहीं: मुनिश्री अभयसागर जी | The faces may change, but the computer does not mirror: Munishri Abysagr G | Patrika News

कम्पयूटर से चेहरे में परिवर्तन हो सकता है लेकिन दपर्ण में नहीं: मुनिश्री अभयसागर जी

locationअशोकनगरPublished: Oct 20, 2016 06:08:00 am

Submitted by:

veerendra singh

शिक्षा और मर्यादा से बंधा हुआ है जो रोज-रोज पढऩे पर हमें नई-नई शिक्षाएं देता है

Ashok nagar

Ashok nagar


अशोकनगर.
सूक्ष्म से सूक्ष्म ज्ञान जहां हमें मिलता है वह करूणानुयोग है तीर्थंकर का वर्णन जिसमें मिले वह प्रथमानुयोग है। कम्पयूटर में चेहरे पर परिवर्तन हो सकता है लेकिन दर्पण कोई परिवर्तन नहीं करता ऐसा करूणानुयोग ग्रन्थ है। उक्त उदगार मुनिश्री अभयसागर जी महाराज ने सुभाषगंज मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने बताया कि किन कारणों से हमारी चारों गतियों में भटकन होती है कैसे हम पांचवी गति मोक्ष गति को प्राप्त कर सकते हैं। करूणानुयोग में मिलता है।

भक्ति ही मुक्ति का कारण हैं जिन आराधना के साथ की गई भगवान की भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती। आपने समवसरण विधान में खूब भक्ति की। भक्ति का पाठ सीखना है तो पुराण ग्रन्थो का अवलोकन करना पड़ेगा तब आप स्वयं समझ लेंगे कि जीवन मे भक्ति का क्या स्थान हैं। उन्होंने बताया कि जीवन को सार्थक बनाने के लिये भगवान की भक्ति मे मानव पर्याय के अनमोल समय को अवश्य लगाये, क्योंकि एक बार यह पर्याय हाथ से छूट गई और हम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाये तो फि र से मिलना बहुत कठिन है। जिस तरह कंचन मड़ी का समुद्र गिरने के बाद मिलना दुर्लभ है वैसे ही मानव जीवन है जिसे हमें स्वयं धारण कर सफ ल बनाना हैं । मुनि श्री ने एक संस्मरण सुनाते हुये कहा कि जब हम लोग आचार्यश्री के संघ मे थे और चातुर्मास अमरकंटक मे चल रहा था जो कि नर्मदा नदी का उदगम स्थल है वहाँ हमने देखा नर्मदा नदी वहुत छोटे से स्थान से निकलती है और वही नदी आगे जाकर विशाल रूप धारण कर लेती है और एक दिन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेती है। वैसे ही संत और महान आत्माएं विपरीत परिस्थिति मे भी अपना मार्ग बना ही लेते हंै और आत्मा की प्राप्ति का लक्ष्य है उसे पा लेते हैं। महानआत्माओ के जीवन कोई कथा कहानी नहीं हैं उनमें जीवन के बहुत से रहस्य छुपे है जिन्हे हम परत दर परत जान सकते है और अपने जीवन को उज्ज्वल बनाने का काम कर सकते हैं। मुनि श्री ने कहा कि भारत के आदर्श महापुरुषों मे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का नाम वड़े आदर के साथ लिया जाता है और वे महामना भारतभर ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये आदर्श है क्योंकि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों मे भी कभी धर्म को नहीं छोड़ा । उनके जीवन आदर्श, शिक्षा और मर्यादा से बंधा हुआ है जो रोज-रोज पढऩे पर हमें नई-नई शिक्षाएं देता है ।
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