दुनिया भर में साइबर हमलों के बढ़ते मामलों और खतरों के बीच चीन ऐसा ‘अनहैकेबलÓ कम्युनिकेशन नेटवर्क लांच कर रहा है, जिसमें सेंध लगाना संभव नहीं होगा।
बीजिंग: अभिव्यक्ति और सूचनाओं पर पाबंदी के लिए बदनाम चीन ने अब अपने राज दुनिया से छुपाने के लिए एक नई तकनीक ईजाद की है। दुनिया भर में साइबर हमलों के बढ़ते मामलों और खतरों के बीच चीन ऐसा ‘अनहैकेबल कम्युनिकेशन नेटवर्क लांच कर रहा है, जिसमें सेंध लगाना संभव नहीं होगा। इसमें छेड़छाड़ का तुरंत पता चला जाएगा और पूरा सिस्टम स्लीपिंग मोड में चला जाएगा। चीनी मीडिया ने झेनान प्रांत में इस पर किए जा रहे काम को ‘मील का पत्थर’ बताया है। यह तकनीक अभी अमरीका व यूरोप के पास भी नहीं है।
क्वांटम क्रिप्टोग्राफी तकनीक से संभव
इस नई तकनीक को क्वांटम क्रिप्टोग्राफी कहा जा रहा है। इसमें इंटरनेट पर सूचनाओं का आदान-प्रदान पारंपरिक तरीके से बिल्कुल अलग होगा। नई सूचना तकनीक से इंटरनेट पर मौजूद खामियों को दूर कर उसे मजबूत बनाएगा। भविष्य में अन्य देश भी चीन से ऐसे सॉफ्टवेयर खरीद सकते हैं।
गणित के आंकड़ों में छिपी सूचना
क्वांटम कम्यूनिकेशन में संदेश को एक जटिल और बेहद लंबे गणितीय आंकड़े में बदल दिया जाता है। इतना ही नहीं संदेश पढऩे के लिए जरूरी की (चाबी) को भी गणित के कठिन आंकड़े के रूप में छिपाया जाता है। संदेश पढऩे का कीवर्ड अलग से भेजा जाता है। यह कीवर्ड बेहद हल्के लेकिन जटिल होते हैं। कीवर्ड और असली संदेश एक साथ इंक्रिप्ट करने पर ही संदेश पढ़ा जा सकता है।
इन लोगों के लिए अहम
इस नेटवर्क में सेना, सरकार, वित्तीय संस्थान और बिजली विभाग से जुड़े करीब 200 कर्मचारी अपने संदेश सुरक्षित तरीके से भेज सकेंगे। इसमें यह जानकारी भी दी जाएगी कि मौजूद संदेश केवल वे ही पढ़ पा रहे हैं।
अमरीका-यूरोप हैं पीछे
अमरीका और यूरोप में क्वांटम की पर आधारित नेटवर्क काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर शोध से जुड़े हैं ना कि व्यावसायिक संस्थाओं से। एक मुश्किल यह है कि ऐसा नेटवर्क कार्यक्रम काफी महंगा है और अगर इसके लिए कोई बाजार न ढ़ूंढ़ा गया तो इसके लिए सरकार या निवेशकों से आर्थिक मदद पाना मुश्किल हो सकता है।
बीजिंग और शंघाई के बीच लिंक का परीक्षण
बीते साल चीन ने केबल तारों से नेटवर्क का परीक्षण करने के लिए १ उपग्रह छोड़ा था। बीजिंग व शंघाई के बीच एक लिंक भी बनाया गया ताकि टेस्ट कर हैकिंग का पता लग सके।