script“गिलगिट-बाल्टिस्तान में चीन का मौन आक्रमण” | China making silent attack in Gilgit-Baltistan | Patrika News

“गिलगिट-बाल्टिस्तान में चीन का मौन आक्रमण”

Published: May 07, 2015 11:30:00 am

चीन खामोशी से हमपर आक्रमण कर रहा है, क्षेत्र में
चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं और वर्तमान में इलाके में दो हजार से ज्यादा चीनी मौजूद
हैं

Baltistan in Pakistan

Baltistan in Pakistan

जम्मू। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित गिलगिट-बाल्टिस्तान के एक प्रमुख राजनीतिक कार्यकर्ता ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसने चीन को इस इलाके में अपना प्रभुत्व व सक्रियता बढ़ाने की मंजूरी दी है। वाशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर गिलगिट-बाल्टिस्तान के अध्यक्ष सेंगे हसनन सेरिंग ने पत्रकारों के साथ एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान कहा कि क्षेत्र में चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं और वर्तमान में इलाके में दो हजार से ज्यादा चीनी मौजूद हैं।

हसनान ने कहा कि चीन खामोशी से हमपर आक्रमण कर रहा है। आने वाले दिनों में उनकी ताकत बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि चीन तथा पाकिस्तान ने हाल में अरबों डॉलर के एक करार पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके मुताबिक गिलगिट-बाल्टिस्तान में एक ड्राई पोर्ट का निर्माण करना व आर्थिक जोन का विकास करना है।

हसनान ने यह भी कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने तथा अशांति फैलाने के लिए इस इलाके में लश्कर-ए-तैयबा तथा शिया विरोधी आतंकवादी समूह अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गिलगिट तथा बाल्टिस्तान की जनसांख्यिकी को पाकिस्तान ने बदल डाला है। जब से यह इलाका पाकिस्तान सरकार के नियंत्रण में आया है, उसने तीन लाख से ज्यादा पाकिस्तानी मुख्यत: पंजाबियों को यहां बसाया है।

हसनान ने कहा कि उनका उद्देश्य ही शिया बहुल इलाके की जनसांख्यिकी को बदलना था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में सांप्रदायिक हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। साल 2009 में एक अध्यादेश द्वारा गिलगिट-बाल्टिस्तान को सीधे तौर पर संघीय सरकार के नियंत्रण में ला दिया है। इसे एक प्रांत बना दिया गया है और यहां विधानसभा चुनाव क राए जा रहे हैं।

हसनान ने इस क्षेत्र को आजाद करने की मांग करने वाले बलवारिस्तान आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर क्रूरता के लिए पाकिस्तान सरकार को आड़े हाथ लिया। काराकोरम राज् ामार्ग के कारण इस क्षेत्र का सामरिक महत्व है, क्योंकि यह चीन को अरब सागर के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। आगामी गिलगिट-बाल्टिस्तान विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने इसे केवल स्वांग करार दिया।

कार्यकर्ता ने कहा, “इस तरह के चुनाव के लिए कोई राजनीतिक शुचिता नहीं है, क्योंकि क्षेत्र के मामलों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की बेहद कम भूमिका होती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लश्कर-ए-तैयबा तथा लश्कर-ए-झांगवी जैसे आतंकवादी समूहों के सदस्यों को चुनाव में स्वतंत्रतापूर्वक भाग लेने की मंजूरी दी गई है, जो तंत्र की खामियों की ओर इशारा करता है।”
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