चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी अगली कांग्रेस से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पार्टी में विशिष्ट स्थान देकर उनके अधिकार को और बढ़ा दिया है।
बीजिंग। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी अगली कांग्रेस से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पार्टी में विशिष्ट स्थान देकर उनके अधिकार को और बढ़ा दिया है। पार्टी के प्रमुख नेताओं की चार दिन की बैठक के बाद जारी एक वक्तव्य में शी जिनपिंग को पार्टी में विशिष्ट स्थान देने की घोषणा की गई। वह पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। शी जिनपिंग चीन के राष्ट्रपति के अतिरिक्त सेना के भी प्रमुख है।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार 370 मुख्य नेताओं की चार दिन तक चली बंद कमरे में बैठक के बाद सीपीसी के शीर्ष नेताओं की ओर से बयान में इस बात का आह्वान किया गया कि सभी सदस्य सीपीसी केंद्रीय समिति के ईद-गिर्द एकजुट हो जाएं जहां कॉमरेड शी जिनपिंग प्रमुख होंगे। राष्ट्रपति होने के साथ 63 साल के शी सीपीसी के महासचिव और सेना के प्रमुख हैं।
जानकारों का कहना है कि शी को ‘प्रमुख’ नेता बनाने का कदम उनको पार्टी के भीतर अगले साल के आखिर में होने वाले फेरबदल को लेकर उन्हें काफी प्रभावी बनाता है। एक कयास यह भी लगाया जा रहा था कि पार्टी तीन दशक से भी अधिक समय से चले आ रहे सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था में बदलाव कर सकती है।
हालांकि पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में सीपीसी के भीतर सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था का अनुपालन जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया गया। इससे पहले इस तरह की अटकलें थी कि इस व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है। शी फिलहाल सात सदस्यीय स्थायी समिति का नेतृत्व कर रहे हैं। यह सात सदस्यीय समिति शासन के कई पहलुओं पर विचार कर रही है इसमें प्रधानमंत्री ली क्विंग भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि शी को माओ जैसा दर्जा दिलाने के प्रयास सालभर से किए जा रहे थे। उनके समर्थक सोवियत संघ के विघटन का हवाला देकर 1981 के नियम में बदलाव की पैरवी कर रहे थे। साथ ही उनके भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का भी गुणगान किया जा रहा था।
इस अभियान के तहत पार्टी के करीब आठ करोड़ 90 लाख सदस्यों में से 10 लाख से ज्यादा दंडित किए जा चुके हैं। 1981 के नियम में बदलाव होने पर शी सर्वशक्तिमान हो जाते और उन्हें हर फैसले पर वीटो का अधिकार होता।