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अरुंधति रॉय, कुंदन शाह और सईद मिर्जा भी लौटाएंगे राष्ट्रीय पुरस्कार

Published: Nov 05, 2015 04:03:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

देश में असहिष्णुता के माहौल को लेकर पुरस्कार वापसी का सिलसिला जारी है। इस कड़ी में अब जाने-माने फिल्मकार कुंदन शाह, निर्देशक सईद मिर्जा और प्रसिद्ध लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय का नाम भी शामिल हो गया है, इन्होंने भी अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है। 

देश में असहिष्णुता के माहौल को लेकर पुरस्कार वापसी का सिलसिला जारी है। इस कड़ी में अब जाने-माने फिल्मकार कुंदन शाह, निर्देशक सईद मिर्जा और प्रसिद्ध लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय का नाम भी शामिल हो गया है, इन्होंने भी अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है। 

‘जाने भी दो यारों जैसी सुपर हिट फिल्म सहित प्रसिद्ध धारावाहिक ‘नुक्कड़ बना चुके कुंदन शाह और ‘अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, ‘मोहन जोशी हाजिर हो, सहित नसीम जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके सईद मिर्जा ने गुरुवार को पुरस्कार लौटाने की घोषणा करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया। वहीं 1989 में ‘विच ऐनी गिव्स इट दोज वन्सके लिए बेस्ट स्क्रीनप्ले का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली अरुंधती रॉय ने कहा कि देश के मौजूदा हालात पर वह शर्मिंदा हैं।

Arundhati Roy

असहिष्णुता शब्द पर जताई आपत्ति
अरुंधती नेे हत्या, गोली मारने, जलाने और भीड़ द्वारा हत्या करने के लिए केवल ‘असहिष्णुताÓ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि ये हत्याएं और खतरनाक हालात के लक्षण हैं। उनके मुताबिक देश में करोड़ों दलित, आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई को डर में जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 

उन्हें नहीं पता कि हमला कब और कहां से होगा। केंद्र पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अपने खाते में एक राष्ट्रीय अवॉर्ड ढूंढकर बड़ी खुशी हुई, ताकि वह इसे लौटा सकें। उन्होंने लेखकों के विरोध को अप्रत्याशित और ऐतिहासिक बताया है और इसका हिस्सा बनकर खुशी जताई है।

सहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुकी
अरुंधति 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटा चुकी हैं। इसलिए उन्होंने खुद को कांग्रेस बनाम बीजेपी की पुरानी बहस से अलग देखने की अपील की है और कहा है कि अब बात इससे आगे बढ़ चुकी है।

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