भारत ने कहा कि मोदी जिनपिंग के बीच पहले से ही मुलाकात तय नहीं थी। फिर चीन झूठे वादे कैसे कर रहा है। गुरुवार को चीन की विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि माहौल सही नहीं होने के चलते दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।
बीजिंग: चीन की ओर से जारी एक बयान में जर्मनी के हैम्बर्ग में G-20 समिट में नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात नहीं होने के झूठे दावे की भारत ने पोल खोल कर रख दी है। भारत ने कहा कि मोदी जिनपिंग के बीच पहले से ही मुलाकात तय नहीं थी। फिर चीन झूठे वादे कैसे कर रहा है। गुरुवार को चीन की विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि माहौल सही नहीं होने के चलते दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।
भारत ने बैठक को नकारा
दरअसल चीन के बयान पर भारत ने हैरानी जताई है। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मोदी जिनपिंग के बीच तो कोई बातचीत की योजना ही नहीं थी। फिर चीन की ओर से बयान कैसे जारी किया गया।
क्या है पूरा विवाद
बता दें कि सिक्किम के डोकालम इलाके में पिछले कुछ समय से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है। चीन यहां सड़क बनाने की कोशिश की थी। लेकिन भारत और भूटान ने इसका विरोध किया।
चीन की धमकी पर भारत का करारा जवाब
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक चीनी विशेषज्ञ के हवाले से लिखा था कि चीन को सिक्किम में जारी तनाव को खत्म करने के लिए सेना का सहारा लेना चाहिए। उनका कहना था कि अगर भारत 62 की जंग से सबक लेने को तैयार नहीं है तो सेना का प्रयोग ही एकमात्र रास्ता बचता है। चीन की ओर से आई इस धमकी पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया था कि चीन को यह समझ लेना चाहिए कि आज 2017 का भारत 1962 के भारत से काफी अलग है।
सेना को वापस बुलाए भारत
गौरतलब है कि इससे पहले भी चीन ने मानसरोवर यात्रा भी रोक दी। साथ ही चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय सैनिकों के साथ बदसलूकी भी की गई थी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा हम एक बार फिर भारत से अपील करते हैं कि वो बॉर्डर एग्रीमेंट और चीन की संप्रभुता का सम्मान करे। भारत चीन की सीमा में अवैध तरीके से घुसे अपने जवानों को तुरंत वापस बुलाए।