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भारत-अमरीका के बीच रक्षा करार से उड़ी पाक-चीन की नींद

भारत और अमरीका के बीच सोमवार को हुए नए डिफेंस एग्रीमेंट के चलते पाकिस्तान तथा चीन की बैचेनी स्पष्ट दिखाई दे रही है

Aug 30, 2016 / 03:30 pm

सुनील शर्मा

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वॉशिंगटन। भारत और अमरीका के बीच सोमवार को हुए नए डिफेंस एग्रीमेंट के चलते पाकिस्तान तथा चीन की बैचेनी स्पष्ट दिखाई दे रही है। दोनों देशों के मीडिया ने इसे प्रमुख खबर बताते हुए कहा है कि इस समझौते से चीन तथा पाकिस्तान सीधे प्रभावित होंगे। दोनों पड़ौसी देशों की मीडिया के अनुसार भारत और अमरीका ने एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ही इस एग्रीमेंट को साइन किया है। गौरतलब है कि इस डिफेंस एग्रीमेंट लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ अग्रीमेंट (LEMOA) के तहत भारत और अमरीका दोनों एक दूसरे के सैन्य अड्डों तथा संसाधनों (जिनमें सप्लाई, स्पेयर पार्ट्स, सर्विस तथा ईंधन शामिल हैं) का इस्तेमाल कर सकेंगे।


भारत न बनें वॉशिंगटन का ‘पिछलग्गू’
इस समझौते का जहां अमरीकी मीडिा ने गर्मजोशी से स्वागत किया है वहीं चीनी और पाक मीडिया ने इसे दक्षिण एशिया में प्रतिद्वंदिता बढ़ाने वाला बताते हुए भारत को चेतावनी भी दी है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ‘बेशक अमरीकी-इंडिया मिलिटरी साझेदारी में यह एक लंबी छलांग है। भारत चतुराई भरा कदम उठा रहा है। कुछ डिफेंस ऐनालिस्ट ने चिंता जताते हुए कहा है कि इंडिया इस समझौते के कारण रणनीतिक स्वतंत्रता को खो सकता है। इन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत वॉशिंगटन का ‘पिछलग्गू’ बनकर रह जाएगा। इंडिया अपनी आजादी के बाद से गुटनिरपेक्ष नीति का पालन करता रहा है। भारतीय राजनेता इसकी वकालत भी करते रहे हैं। हालांकि हाल के वर्षों में अमेरिका जानबूझकर इंडिया से ज्यादा प्रेम जता रहा है ताकि इस इलाके में चीन के ऊपर दबाव बनाया जा सके।’



चीनी मीडिया ने बोला मोदी सरकार पर हमला
ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अगर भारत जल्दबाजी में अमरीका का सहयोगी बन रहा है तो इससे यह चीन, पाकिस्तान या रूस को चिढ़न हो सकती है। उस स्थिति में भारत खुदको सुरक्षित महसूस नहीं कर पाएगा। वह खुद ही अपने बिछाए रणनीतिक जाल में फंस कर एशिया में प्रतिद्वंद्विता बढ़ाएगा।

ग्लोबल टाइम्स मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए आगे लिखता है कि इंडिया विवादों और रणनीतिक तिकड़मों को हवा दे रहा है। जापान में शिंजो अबे के पहले कार्यकाल में अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और जापान की चतुष्कोणीय सहयोग का हौव्वा खड़ा किया गया। हालांकि नई दिल्ली इस आइडिया को लेकर बहुत आक्रामक नहीं रहा। इंडिया पूरी तरह से अमरीका की तरफ नहीं झुक सकता क्योंकि इससे इंडिया के आत्मसम्मान पर चोट पहुंचेगी। इंडिया अमरीका और चीन के बीच संतुलन रखकर ही अपने हितों को साध सकता है।

इस समझौते से पाकिस्तान को आया पसीना
दोनों देशों में हुए रक्षा करार के बारे में फोर्ब्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भविष्य में होने वाले CISMOA और BECA समझौते से इंडिया को सुपरपावर चाइना के सामने खड़ा होने के लिए मजबूत आधार मिलेगा। करार के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि इंडिया का पास जेट इंजन और मानव रहित हवाई वाहन टेक्नॉलजी आ जाती है तो पाकिस्तान सैन्य क्षमता के आधार पर भारत से बहुत पीछे पिछड़ जाएगा। अमरीका पहले ही भारत को मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजिम में (MTCR) में एंट्री देकर अपनी दोस्ती जता चुका है। ऐसे में पाकिस्तान को पसीना आ रहा है।

अमरीकी मीडिया ने की वार पैक्ट की तारीफ
भारत-अमरीका रक्षा करार का अमरीकी मीडिया ने जमकर स्वागत किया है। फोर्ब्स ने इस पैक्ट को ‘वॉर पैक्ट’ बताते हुए कहा है कि इंडिया अपने शीत युद्ध के साथी रूस के पाले से निकलकर शिफ्ट हो रहा है। अब वह अमराकी सहयोगी के रूप में खुलकर सामने आ रहा है।

फोर्ब्स ने चीन और पाकिस्तान को किया सावधान
हाल ही में फोर्ब्स मैगजीन ने अपने एक आर्टिकल में चीन तथा पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए लिखा था, ‘चीन और पाकिस्तान सावधान- इस हफ्ते इंडिया और अमरीका के बीच बड़े वॉर पैक्ट पर हस्ताक्षर होने जा रहा है।’

अमरीकी मीडिया के अनुसार इस एग्रीमेंट का आने वाले समय में पूरे एशिया पर दूरगामी असर पड़ेगा। इसे बराक ओबामा सरकार की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। एक अपुष्ट रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में इंडो-पैसीफिक में अमरीकी नेवी की 60 पर्सेंट सरफेस शिप्स की तैनाती की योजना है। अगर ऐसा होता है तो यह एक तरह से चीन को अमरीका की खुली चुनौती होगी। ऐसे में आने वाले समय में सैन्य शक्ति संतुलन काफी हद तक भारत के पक्ष में झुक सकता है।

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