चीनी मीडिया ने चेतायाः टैंकों की तैनाती से पड़ेगा निवेश पर असर
Published: Jul 21, 2016 04:42:00 pm
लेख में कहा गया कि भारत-चीन सीमा के पास टैंक तैनात किए जाने से चीनी कारोबारी समुदाय को यह बात खटक सकती है, निवेशक निवेश संबंधी फैसले करते हुए राजनीतिक अस्थिरता के खतरे को मापने की कोशिश करेंगे
पेइचिंग। भारत द्वारा चीन सीमा पर बढ़ाई गई गतिविधियों से चीन के पसीने छूटने लगे है। इस कार्रवाई की चीनी मीडिया ने आलोचना करते हुए कहा है कि यह कदम देश में चीनी निवेश के प्रवाह पर असर डाल सकता है। इसके साथ ही चीनी मीडिया ने आपसी गलतफहमियों को दूर करने के लिए साझा प्रयासों की अपील की।
इस कार्रवाई से निवेश प्रभावित होगाः चीनी मीडिया
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में गुरुवार को कहा गया कि किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए भारत-चीन सीमा के पास लगभग 100 टैंक तैनात किए जाने की खबर पर लोगों का ध्यान गया है क्योंकि ज्यादा चीनी कंपनियां भारत में अपना निवेश बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं। इसमें कहा गया है कि हालांकि यह बात उलझाने वाली है कि चीन की सीमा के पास टैंक तैनात करके भी भारत चीनी निवेश हासिल करना चाहता है।
कारोबारी समुदाय को यह बात खटक सकती है
लेख में कहा गया कि भारत-चीन सीमा के पास टैंक तैनात किए जाने से चीनी कारोबारी समुदाय को यह बात खटक सकती है। निवेशक निवेश संबंधी फैसले करते हुए राजनीतिक अस्थिरता के खतरे को मापने की कोशिश करेंगे। यह लेख भारतीय सेना द्वारा लद्दाख सीमा पर चीन की आक्रामक सेना और सीमा पर बने ढांचों के सामने टैंकों की तैनाती की खबरों का हवाला देता है।
पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है भारत में चीनी निवेश
खबरों में कहा गया है कि चीन ने भी अपनी तरफ विशेष इकाइयां तैनात कर रखी हैं और टैंकों की तैनाती इसे संतुलित करने पर केंद्रित है। इस साल मई में प्रकाशित ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में भारत में चीनी निवेश छह गुना बढ़कर 87 करोड डॉलर हो गया। लगभग 70 अरब डॉलर के वार्षिक व्यापार में 46 अरब डॉलर से ज्यादा के व्यापार घाटे का सामना कर रहा भारत पेइचिंग पर निवेश बढ़ाने के लिए जोर डाल रहा है।
संदेहों को दूर करने के लिए ज्यादा ध्यान दिया जाए
उसने चीनी निवेशों के सुगम प्रवाह के लिए सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों को हटाया है। निवेश का माहौल सुधारने के लिए भारत के प्रयासों को मान्यता देते हुए ग्लोबल टाइम्स के गुरुवार के लेख में कहा कि भारत सरकार की ओर से विदेशी निवेश का माहौल सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं लेकिन अब ऐसा लगता है गैर-आर्थिक कारकों को लेकर निवेशकों में घर करने वाले संदेहों को दूर करने के लिए ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया कि औद्योगीकीकरण और शहरीकरण के अपने शुरुआती दौर के दौरान, चीन ने राजनीतिक विवादों को दरकिनार कर आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। भारत सरकार के लिए यह एक हद तक रोडमैप की तरह काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक तौर पर देखें तो भारत और चीन के बीच एक सफल संबंध की, विशेष तौर निर्माण क्षेत्र में एक बड़ी संभावना है। इस संभावना को हकीकत में बदलने के लिए चीन और भारत दोनों को ही गलतफहमियां दूर करने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है। तभी आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग के टिकाऊ विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी जा सकती है।