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काबुल : अमरीकी विश्वविद्यालय पर हमले में मृतकों की संख्या 12 हुई

विश्वविद्यालय को निशाना बनाकर इस महीने किया गया यह दूसरा हमला है

Aug 25, 2016 / 06:56 pm

जमील खान

American Univ Attack

American Univ Attack

काबुल। अफगानिस्तान के संभ्रात लोगों के बीच प्रसिद्ध काबुल स्थित अमरीकी यूनिवर्सिटी में बुधवार शाम किए गए अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में सात छात्रों समेत 12 लोग मारे गए और 35 छात्रों समेत 44 लोग घायल हो गए। सुरक्षाबलों ने हमले को अंजाम देने वाले दोनों बंदूकधारियों को ढेर कर दिया है। इस हमले में किसी भी विदेशी छात्र के घायल होने के सूचना नहीं है। मारे गए छात्रों की नागरिकता अभी जाहिर नहीं की गई है।

विश्वविद्यालय को निशाना बनाकर इस महीने किया गया यह दूसरा हमला है। पहला हमला अप्रत्यक्ष माना जा सकता है, जब गत सात अगस्त को यहां पढाने वाले एक अमरीकी और एक आस्ट्रेलियाई प्रोफेसर को बंदूकधारियों ने विश्वविद्यालय के पास ही बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया था। वर्ष 2006 में खोले गए इस विश्वविद्यालय में फिलहाल 1700 छात्र सहशिक्षा में फुट टाइम या पार्ट टाइम पढ़ते हैं।

हमलावर सबसे पहले स्थानीय समयानुसार बुधवार शाम साढ़े छह बजे के करीब कार बम विस्फोट करके परिसर में घुसे और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अफगान सेना ने तत्काल ही परिसर को चारों तरफ से घेर लिया और परिसर में दाखिल हुए। काबुल पुलिस प्रमुख अब्दुल रहमान रहीमी ने बताया कि हमले में सात छात्रों के अलावा तीन पुलिसकर्मी और दो सुरक्षा गार्ड भी मारे गए। किसी संगठन ने अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

पुलिस ने बताया कि गुरुवार तड़के तक रुक-रुक कर गोलियां चलती रहीं और दोनों हमलावरों के मारे जाने के बाद अभियान समाप्त हो गया। फिलहाल अफगान क्रिमिनल टेक्नीक टीम पूरे परिसर में क्लीयरेंस ऑपरेशन चला रही है। काबुल पुलिस अपराध जांच विभाग के प्रमुख फराईदून ओबैदी ने बताया कि पुलिस ने परिसर से 700 से 750 छात्रों को सुरक्षित निकाला है। छात्रों ने बताया कि किस तरह उन्होंने खुद को इस हमले से बचाया।

ऐसे ही बचे एक छात्र अब्दुल्लाह फहीमी ने बताया कि कई छात्र दूसरी मंजिल से कूद कर अपनी जान बचा रहे थे, जिसके कारण कई के पैर की हड्डी टूट गई और कई लोगों के सिर में गंभीर चोट आई। उसने बताया कि अधिकतर छात्र अपनी क्लास में थे जब उन्हें तेज धमाका सुनाई दिया। कई छात्र रोने लगे और कई तेज तेज चिल्लाने लगे। गोलीबारी की आवाज से घबराए छात्र जान बचाकर इमरजेंसी गेट की तरफ भागे और दीवार फांदकर बाहर कूद गए।

हालांकि अभी तक किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली ह,ै लेकिन अफगान तालिबान अक्सर ऐसे हमलों को अंजाम देता रहता है। तालिबान ने अफगानिस्तान के एक बड़े भूभाग पर कब्जा जमाया हुआ है और अफगान सुरक्षाबल दक्षिण में हेलमंद और उत्तर में कुंदुज प्रांत में उससे संघर्षरत है। नाटो ने दिसंबर 2014 में ही अफगानिस्तान में अपनी सक्रिय भागीदारी छोड़ दी थी, लेकिन हजारों नाटो सैनिक अफगान सेना को प्रशिक्षण देने के लिए अभी यहीं हैं और हजारों अमरीकी सैनिक अल कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ अलग अभियान चलाने के लिए यहां तैनात हैं।

अमरीका ने कहा है कि वह काबुल में विश्वविद्यालय पर हुए हमले के बाद से स्थिति की निगरानी कर रहा है और अमरीका नीत गठबंधन सेना अफगान सेना को सलाह और मदद देने की भूमिका निभा रही है। अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ऐलिजाबेथ त्रुदो ने बताया कि अमरीकी दूतावास हमले के बाद वहां काम कर रहे अपने देश के नागरिकों और छात्रों की पहचान कर उनकी मदद कर रहा है।

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