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नाम के लिए जेल में है लखवी, मिल रहीं वीआईपी सुविधाएं

Published: Mar 01, 2015 02:08:00 pm

लखवी भले ही पाक की आदियाला जेल में हो, मगर यहां भी उसे हर तरह की सुख-सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं

रावलपिंडी। आतंकी संगठन लश्कर का आतंकी और 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी भले ही पाकिस्तान की आदियाला जेल में हो, मगर यहां भी उसे हर तरह की सुख-सुविधाएं मुहैया कराने में पाक कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। बीबीसी उर्दू द्वारा किए गए इस खुलासे से पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति रूख भी स्पष्ट हो गया है। गौरतलब है कि लखवी 2008 मुंबई हमले के लिए फंडिंग और प्लांनिंग में आरोपी है, जिनमें करीब 166 लोग मारे गए थे। लखवी जमात-उद- दावा के प्रमुख हाफिज सईद का करीबी है। आशंका जताई जा रही है कि दोनों मिलकर फिर किसी आतंकी साजिश को अंजाम दे सकते हैं।

वीवीआईपी सुविधाएं
बीबीसी उर्दू ने जेल अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि सभी आतंकियों के कमरे जेलर के दफ्तर के ठीक पास हैं। जेलर की अनुमति से सभी के कमरों में टीवी, म ोबाइल और इंटरनेट है। लखवी को एक दिन में दर्जनों लोगों से मिलने की अनुमति है। एक अधिकारी ने बताया, दिन में कई संदिग्ध लोग लखवी से मिलने आते हैं। जेल प्रशासन उनकी पहचान भी नहीं पूछता है।

अभी भी लखवी ही है चीफ
भले ही गिरफ्तारी के बाद से लखवी सलाखों के पीछे है, मगर अभी भी लश्कर की कमान उसी के हाथों में है। अहमद नाम का एक सदस्य अभी आतंकी समूह के संगठन का काम देख रहा है, मगर ऑपरेशन चीफ लखवी ही है।

भारत-अमरीका ने जताई थी आपत्ति
भारत-अमरीका पहले ही लखवी को जेल में मिल रही सुविधाओं पर आपत्ति जता चुके हैं, मगर पाक ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। अमरीकी की तरफ से की गई शिक ायत पर पाकिस्तान के आर्मी चीफ अशफाक परवेज कायानी ने भी ध्यान नहीं दिया।

लखवी की लीला
लखवी को मुंबई हमले के मास्टरमाइंड होने के आरोप में पाक सेना ने 2008 में गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के पीछे भी बड़ी वजह आतंकवाद को नियंत्रित करने को लेकर पाक पर पड़ने वाला वैश्विक दबाव था। इसके बाद पिछले वर्ष पाक अदालत लखवी को सबूत न होने के आधार पर रिहा भी करने को तैयार थी, मगर पेशावर में हमले के बाद रिहाई टल गई।


ये सुविधाएं मिल रहीं
– सभी आतंकियों के कमरे जेलर के दफ्तर के ठीक पास हैं।
-सभी के कमरों में टीवी, मोबाइल और इंटरनेट है
-सभी को एक दिन में दर्जनों लोगों से मिलने की अनुमति है।
-दिन में कई संदिग्ध लोग लखवी से मिलने आते हैं। जेल प्रशासन उनकी पहचान भी नहीं पूछता है।

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