काठमांडु। मधेसी आन्दोलन से नेपाल के बिगड़े हालात को सामान्य बनाने के लिए प्रधानमंत्री केपी ओली और विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सोमवार को संयुक्त मधेसी मोर्चा के नेताओं के साथ काठमांडू में बैठक की लेकिन मधेसी मोर्चा की सीमांकन की मांग पर बात नहीं बन सकी। दोनों पक्ष बुधवार को फिर बैठेंगे। वार्ता के बाद सरकार और मधेसियों ने कहा कि कोई समझौता नहीं हुआ लेकिन वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ी और वे बुधवार को फिर भेंटवार्ता के लिए सहमत हुए।
ओली के प्रेस सलाहकार प्रमोद दहल ने कहा कि सोमवार की मुलाकात के दौरान दोनों पक्ष मधेसी दलों से जुड़े मुद्दों का द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय वार्ता के जरिये हल करने पर सहमत हुए। यह ओली और प्रदर्शनकारी मधेसी दलों के प्रतिनिधियों के बीच पहली बैठक थी।
संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने बताया कि सरकार देश को बर्बादी की कगार पर ले जा रही है। अपनी नाकामी को छिपाने के लिए नेपाल में हो रहे आन्दोलन को भारत से जोड़ रही है। वार्ता के नाम पर सिर्फ दुनिया को दिखाने का छलावा किया जा रहा है। सरकार 100 दिन से हो रहे आन्दोलन और मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। यादव ने बताया कि सोमवार को ही मोर्चा की बैठक विराटनगर में हुई, जहां निर्णय लिया गया कि सोनौली और जोगवनी बॉर्डर को जल्द से जल्द मधेसी आन्दोलनकारी बन्द कराएंगे।
नेपाल में 20 सितंबर को लागू हुए नए संविधान के बाद उत्पन्न आंतरिक संकट पर नियंत्रण के लिए नेपाल सरकार सैन्य बल का प्रयोग कर सकती है। संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा के राष्ट्रीय नेता और पूर्व विदेश मंत्री उपेन्द्र यादव के अनुसार नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली और नेकपा माओवादी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी है। योजना के तहत नेपाल के तराई में बसे मधेसी बहुल जिलों में आपातकाल लागू कर इन्हें सेना के हवाले किया जा सकता है। नेपाली सेना के प्रधान सेनापति राजेन्द्र क्षत्री के साथ प्रधानमंत्री बात कर चुके हैं लेकिन प्रधान सेनापति ने विषय की गंभीरता को देखते हुए उनसे कुछ समय मांगा है।
मधेसी आन्दोलन को दबाने की नेपाली सत्ता प्रतिष्ठान के अन्दरखाते चल रही इस कोशिश के विरोध में नेकपा एमाले के मधेस क्षेत्र से चुने गए सांसद लामबंद हैं। इससे सरकार योजना को अंजाम नहीं दे पा रही है। यादव के अनुसार प्रधान सेनापति भी अपने ही देश के नागरिकों के खिलाफ सैन्य बल प्रयोग करने के पक्ष में नहीं हैं।
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