भारतीय राहत को खतरा मान रहे हैं नेपाली कम्युनिस्ट
उन्होंने प्रधानमंत्री से
आग्रह किया कि भारतीय सेना और बचाव दल की गतिविधियों को नियंत्रित किया जाना
चाहिए
काठमांडू। नेपाल के कम्युनिस्ट नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद यहां विदेशी शक्तियों द्वारा दी रही सहायता को नेपाल की सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं। नेपाली क म्युनिस्टों ने प्रधानमंत्री सुशील कोईराला से आग्रह किया है कि वह इस पर संज्ञान लें।
कोईराला द्वारा बुलाई गई एक सर्वदलीय बैठक में तीन वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेताओं -यूएनसीपीएन (माओवादी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल, सीपीएन-माओवादी के मोहन वैद्य और मजदूर किसान पार्टी के नारायण मान बिजुकछे ने चेतावनी देते हुए कहा कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
दैनिक समाचार पत्र “अन्नपूर्णा पोस्ट” की रपट के मुताबिक, बैद्य और बिजुकछे ने बैठक में कहा कि भारत राहत वितरण के नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि भारतीय सेना और बचाव दल की गतिविधियों को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
दहाल ने कहा कि भारतीय सीमा बल नेपाल सरकार के नियंत्रण से बाहर हो रहा है और इसकी गतिविधियां राहत सामग्री वितरण में सहायक नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को एक दिशानिर्देश तैयार करना चाहिए कि विदेशी सहायता किस रूप में ली जाएगी।
बैद्य ने कहा कि भूकंप के बाद नेपाल में भारत का हस्तक्षेप बढ़ रहा है और यह केवल त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और चीन, नेपाल की उत्तरी सीमा की ओर ध्यान दे रहा है। इससे चीन के साथ हमारे संबंधों पर असर पड़ेगा।
कुछ मीडिया रपटों में भारत की आलोचना के बाद काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि भारतीय टीमें नेपाल सरकार के निर्देशों के अनुसार ही काम क र रही हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा है भारत ने नेपाल की ओर दोस्ताना हाथ बढ़ाया है।
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