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भारतीय राजदूत पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा नेपाल

Published: May 09, 2016 10:58:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

नेपाल ने भारत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत नेपाल में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को अस्थिर और देश के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है

Indian Ambassador Ranjit Rae

Indian Ambassador Ranjit Rae

काठमांडू। नेपाल और भारत के बीच राजनयिक संकट गहराता जा रहा है। अब नेपाल ने वहां मौजूद भारतीय राजदूत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। केपी शर्मा ओली सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि भारतीय राजदूत रंजीत राय को पीएनजी (पर्सोना नॉन ग्राटा) अवांक्षित व्यक्ति घोषित किया जाए तो इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। बता दें कि तेजी से बदलते राजनीति घटनाक्रम में नेपाल ने भारत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत नेपाल में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को अस्थिर और देश के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को समर्थन दे रहा है, जिससे देश में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

इसके चलते नौ मई से होने वाली नेपाल की राष्ट्रपति भंडारी की पहली भारत यात्रा को अचानक रद्द कर दिया गया और नेपाल ने असहयोग, सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और नेपाली सरकार को अपदस्थ करने के षडयंत्र रचने जैसे आरोप लगाते हुए अपने राजदूत को वापस बुला लिया था। नेपाली राष्ट्रपति की भारत यात्रा अपने भारतीय समकक्ष प्रणव मुखर्जी के आमंत्रण पर राजकीय अतिथि के तौर भारत आने का कार्यक्रम था और मध्यप्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ में जाने तथा वहीं 12 से 14 मई के दौरान शाही स्नान में शिरकत करने का भी कार्यक्रम था।

हालांकि नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने उन आरोपों को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि वे अपने भारतीय समकक्ष रंजीत राय के साथ नेपाल के मधेशी इलाकों का नेपाल सरकार को बिना विश्वास में लिए दौरा किया था। इस संबंध में उन्होंने कहा कि नेपाली अधिकारियों ने तथ्यहीन, अनैतिक, गैर पेशेवर और आधारहीन तथ्यों को बिना वजह मीडिया में प्रसारित किया। उन्होंने कहा कि काठमांडू को किसी तरह का भ्रम फैलाने से पहले तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए। उधर, नेपाली विदेश मंत्रालय ने भारत में अपने राजदूत को वापस बुलाये जाने और भारत के साथ संबंधों पर मीडिया में उत्पन्न अफवाहों को गलत करार दिया और कहा कि नेपाली राजदूत को वापस बुलाया जाना एक सामान्य सरकारी कदम है। वहीं दूसरी और दोनों देशों के बीच अचानक आई इस तल्खी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बदलते घटनाचक्र पर पूरी सतर्कता के साथ निगाह रखते हुए चुप्पी साध रखी है।
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