script“भारत में सक्रिय आतंककारियों से नाता तोड़े पाकिस्तान” | Pak should break it's relationship with terror groups active in India : USA | Patrika News

“भारत में सक्रिय आतंककारियों से नाता तोड़े पाकिस्तान”

Published: Apr 02, 2015 10:58:00 am

पाकिस्तान वास्तव में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को
लेकर गंभीर है, तो उसे सभी आतंकी सगंठनों से संबंध तोड़ने होंगे

वॉशिंगटन। मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के जकी-उर-रहमान लखवी का जिक्र करते हुए अमरीका के दो विशेषज्ञों ने कहा है कि वॉशिंगटन पाकिस्तान पर इस बात के लिए दबाव बनाए कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चयनात्मक दृष्टिकोण न अपनाए।

कंजरवेटिव थिंक टैंक हेरिटेज फाउंडेशन की अतिथि विश्लेषक हुमा सत्तार और वरिष्ठ शोधकर्ता लिसा कुर्टिस ने विदेश मंत्री जॉन केरी, प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस और शीर्ष डेमोक्रेट एलियट एंजल को लिखे एक संयुक्त पत्र में कहा है, पाकिस्तान का आतंकवाद को लेकर चयनात्मक दृष्टिकोण जारी रहने से क्षेत्र में अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्य कमजोर पड़ रहे हैं।

दोनों विशेषज्ञों ने लिखा है, “अगर पाकिस्तान वास्तव में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर गंभीर है, तो उसे सभी आतंकी सगंठनों के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करना होगा और अफगानिस्तान तथा भारत में संक्रिय आतंककारियों से संबंध तोड़ने होंगे।

साल के प्रारंभ में अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान में हर तरह के आतंकवाद को अस्वीकार्य करार दिया था और पाकिस्तानी सेना द्वारा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की तरफ से शुरू किए गए अभियान में विस्थापित हुए लोगों के लिए 25 करोड़ डॉलर मदद की पेशकश की थी।

विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तानी सेना वाशिंगटन को लगातार भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि वह सभी आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अब तक अफगानिस्तान और भारत में सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के कुछ संकेत ही मिले हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि मार्च में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान सरकार की दलीलें खारिज कर दी थी और लखवी को रिहा करने के आदेश दिए थे। पाकिस्तानी न्यायालय सैन्य नेतृत्व के इशारों पर ही काम करते हैं।पिछले दिसंबर में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमले के दो दिन बाद पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने लखवी को जमानत दे दी थी।

कुर्टिस और सत्तार ने लिखा है, यह हैरान कर देने वाली गतिविधि पाकिस्तानी सेना की तरफ से भारत को संकेत था कि उसने भले ही टीटीपी पर कार्रवाई की हो, लेकिन वे एलईटी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता रहेंगे।

विशेषज्ञों ने लिखा है कि अंतत: सेना लखवी को जेल में ही रखेगी, क्योंकि पाकिस्तानी अधिकारी समझ गए हैं कि उसे रिहा करने से पाकिस्तान को अमरीका की तरफ से मिल रहे करोड़ों रूपए की सहायता प्रभावित हो सकती है।

दोनों ने अपने पत्र में चिंता जाहिर की है कि पाकिस्तान ने एलईटी, लश्कर-ए-झांगवी और जैश-ए-मोहम्मद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए कुछ नहीं किया है, क्योंकि वे भारत और अफ गानिस्तान में पाकिस्तान की विदेश नीति के उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

कुर्टिस और सत्तार ने लिखा है, पाकिस्तानी सेना का चयनात्मक दृष्टिकोण दक्षिण एशिया से वैश्विक आतंकवाद को समाप्त करने के अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य के लिए खतरा है।
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