इस्लामाबाद। संयुक्त महासभा के सत्र के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गैरमौजूदगी की पाकिस्तान फायदा उठा सकता है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में जोरदार तरीके उठाने की तैयारी कर ली है। इस बार यूएन महासभा में भारत का नेतृत्व सुषमा स्वराज कर रही हैं। बता दें इसी हफ्ते पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य देशों के सामने दूसरी बार भारत और कश्मीर पर पाक के पक्ष से अवगत कराया। इन पांचों देशों के राजदूतों और यूरोपीय संघ को पाकिस्तान ने यूएनएससी प्रस्तावों के तहत उनके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों की याद दिलाई।
कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए शरीफ ने 22 दूत नियुक्त किए
उधर, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय ज्यादतियों और मानवाधिकारों के हनन को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उजागर करने के लिए शनिवार को 22 सांसदों को विशेष दूत के तौर पर नियुक्त किया। प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा कि मैंने कश्मीर मुद्दे पर लडऩे के लिए इन सांसदों को विश्व के विभिन्न हिस्सों में भेजने का फैसला किया है।
इन विशेष दूतों में पाकिस्तान के लोगों की ताकत है, नियंत्रण रेखा के पार कश्मीरियों की प्रार्थना है,संसद का जनादेश और सरकार का समर्थन है। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे को उजागर करने के लिए इन विशेष दूतों की कड़ी मेहनत दुनिया भर में गूंजे, इसके लिए मैं इनके पीछे खड़ा हूं, ताकि इस सितंबर में संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन के दौरान मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर सकूं।
पाक को जवाब: 22 हजार भी बोलें तो झूठ नहीं होगा सच
वहीं पाकिस्तान की ओर से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिशों पर भारत ने करारा जवाब दिया। विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने पाक के कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए 22 सासंदों के दल बनाने की घोषणा पर कहा कि झूठ को 22 लोग 22 बार या 22 हजार बार दोहराएं तो वह सच नहीं होगा। जहां तक कश्मीर मुद्दे की बात है तो पाकिस्तान को इसका अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं करना चाहिए। यह द्विपक्षीय मुद्दा है। यह पाकिस्तान का निजी हक है कि वह अपने सांसदों को फ्री टूरिज्म पर भेजना चाहता है तो भेज सकता है, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि हजार बार भी गलत बात दोहराने से वो सही नहीं हो सकती है।