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बिना सबूत जमात उद दावा पर प्रतिबंधन नहीं लगाएगा पाकिस्तान

Published: Jul 08, 2015 04:11:00 pm

Submitted by:

Rakesh Mishra

पाकिस्तान सरकार ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं
है कि इस संगठन का गठन गैरकानूनी घोषित लश्कर ए तैयबा का स्थान लेने के लिए किया
गया था

Hafiz Saeed

Hafiz Saeed

इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार ने निकट भविष्य में जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगाने की संभावना से इंकार किया है और कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि इस संगठन का गठन गैरकानूनी घोषित लश्कर ए तैयबा का स्थान लेने के लिए किया गया था।

पाक की सीनेट में मंत्री ने दिया जवाब
पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र के राज्य मंत्री अवकाश प्राप्त जनरल अब्दुल कादिर बलूच ने पाकिस्तान की सीनेट में गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान की ओर से उत्तर देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि जमात उद् दावा, लश्कर ए तैयबा का नया नाम है, लेकिन उसने इस बारे में पाकिस्तान को कोई सबूत नहीं दिया है।

सबूत मिले तो लगाया जा सकता है प्रतिबंध
उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी कानून के अंतर्गत 15 नवम्बर 2003 से इस संगठन पर निगरानी रखी गई और प्रांतों से उसकी गतिविधियों पर नजर रखने को कहा गया। अगर इसके विरूद्ध सबूत मिलते हैं तो इसके ऊपर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय यह संगठन धर्मार्थ कामों में लगा हुआ है और अस्पताल, क्लीनिक, स्कूल, एम्बुलेन्स सेवा तथा धार्मिक संगठन चला रहा है।

उसके कार्यालय 2008 और 2010 के बीच बंद किए गए थे, लेकिन लाहौर हाई कोर्ट ने इन्हें राहत देने का आदेश दिया था। बलूच ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को भी लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने वाला संदिग्ध संगठन बताया था। उन्होंने कहा कि वह कह नहीं सकते कि इसकी भी जांच की गई थी या नहीं। उन्होंने बताया कि दो स्वयंसेवी संगठनों खुद्दम-उल-इस्लाम और जमात-उल-फुरकान की स्थापना प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के स्थान पर की गई थी।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अल-अख्तर ट्रस्ट और अल-रशीद ट्रस्ट को एवं संयुक्त राष्ट्र ने अल-रहमत ट्रस्ट और अल-अनफाल ट्रस्ट को जैश-ए-मुहम्मद से संबंध रखने के आरोप में सूचीबद्ध किया था।
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