गद्दाफी के गृहनगर सिरते में पिछले साल ही वजूद बना चुका है आईएस, अब सीनियर टेररस्टि कमांडर्स भी सीरिया से निकलने लगे
त्रिपोली। दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लड़ाके ईराक और सीरिया से उत्तर अफ्रीकी देश लीबिया में शरण लेने लगे हैं। लीबियाई इंटेलीजेंस ऑफिसर्स के मुताबिक कई बड़े कमांडर सिरते शहर में आ छिपे हैं।
मिसराता में ख़ुफिया विभाग के प्रमुख इस्माइल शुक्री ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में आईएस की लीबिया में गतिविधियां बढ़ी हैं और वे बतौर पनाह, इधर रूख करने लगे हैं। मालूम हो कि टेरररिज्म को काउंटर करने की रणनीति पर चर्चा के लिए इन दिनों लीबिया में 23 देशों के प्रतिनिध एकजुट हुए हैं। अमरीका, फ्रांस जैसे और कई अन्य देश के लोग वहां मौजूद हैं।
मुअम्मर गद्दाफी के गृहनगर में हो रही घुसपैठ
खुफिया अधिकारियों के मुताबिक आईएस से लंबे वक्त से जुड़े जिहादी और उनके कमांडर लीबिया को सुरक्षित पनाहगाह मानते हैं। पिछले साल आतंकियों ने सिरते शहर पर कब्जा भी कर लिया था, जिसे पूर्व लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी का गृहनगर कहते हैं। लीबिया में प्रतिद्वंद्वी प्रशासन के बीच असहमति होने की वजह से आईएस के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाही नहीं की जा सकी है। इसका फायदा आतंकियों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आईएस में 70 प्रतिशत विदेशी लड़ाके हैं। इसमें सबसे ज़्यादा टूनिशिया, उसके बाद मिस्र, सूडान और अलजीरिया से लड़ाके शामिल हैं।
आतंकियों के लीबिया भागने की वजहें
– जानकारों का मानना है कि ईराक और सीरिया से लीबिया को निकलने वाले आईएस के लड़ाके मजबूर हैं, चूंकि इस वक्त रूस आतंकियों पर कहर बनकर टूटा हुआ है। रूस ने सीरिया में आईएस के ठिकानों पर अब तक 500 से ज्यादा हवाई हमले किए हैं।
– वहीं अमरीकी समर्थित दलों में फ्रांस प्रमुखता से अभियान में शामिल है। 2015 में फ्रांस में कई आतंकी हमले हुए, जाहिर है उसकी आईएस को निशाना बनाने की ताबडतोड़ कोशिशें जारी हैं।
– चूंकि सीरिया अब यूएन के केंद्र में आ चुका है, वह शांति वार्ता की जद में होगा तो दुनिया की नजरें टिक गई होंगी। यह जान सीरिया में सक्रिय कट्टर-पंथी अफ्रीकी देशों में शरण ले रहे हैं।