भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका ने अब चीन को एक बड़ा झटका दिया है। भारत को राहत देते हुए श्रीलंका ने चीन की ओर से हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने वाले करार में अहम बदलाव किए हैं।
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नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका ने अब चीन को एक बड़ा झटका दिया है। भारत को राहत देते हुए श्रीलंका ने चीन की ओर से हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने वाले करार में अहम बदलाव किए हैं। ऐसे में अब चीन इस बंदरगाह के जरिए सैन्य गतिविधियां नहीं कर पाएगा। इस बंदरगाह में चीनी कंपनी 1.5 अरब डॉलर निवेश करने वाली थी। इस समझौते में चीन की सरकारी कंपनी चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग की 80 फीसदी हिस्सेदारी की बात तय हुई थी। ये बंदरगाह एशिया में आधुनिक सिल्क रूप का अहम हिस्सा है।
दरअसल जब से चीन और श्रीलंका ने बंदरगाह को विकसित करने का कगार हुआ है, तब से ही श्रीलंका की जनता इसका विरोध कर रही है। स्थानीय लोग और बौद्ध भिक्षु लगातार चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार हंबनटोटा बंदरगाह को चीन के हाथों बेच रही है।
सैन्य मकसद के लिए नहीं प्रयोग होगा बंदरगाह
चीन के लिए सबसे बड़ा झटका ये है कि अब चीन इस बंदरगाह का उपयोग सैन्य गतिविधियों के लिए नहीं कर पाएगा। श्रीलंका ने जब से चीन के साथ करार किया था तब से भारत और जापान की चिंताएं बढ़ गई थी। साल 2014 में चीन ने अपनी पनडुब्बी जब कोलंबो में भेजी थी तब से भारत के लिए खतरा और बढ़ गया था।
मोदी की विदेश रणनीति का मिला फायदा
जानकरों के मुताबिक जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से श्रीलंका से अच्छे संबंध बने हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि श्रीलंका ने भारत को राहत देने के लिए ऐसा कदम उठाया है। श्रीलंका की कैबिनेट इस फैसले को संसद में जूरी के लिए लाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि संसद में इस फैसले पर कोई भी आपत्ति नहीं जताएगा।