बीजिंग. चीन ने फिर से दक्षिण चीन सागर में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की। सोमवार को उसने अपने जंगी जहाज इस विवादित क्षेत्र में प्रवेश कर तैनात कर दिए हैं। ताइवान ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसकी जानकारी दी। उधर, चीन ने कहा कि यह महज रूटीन अभ्यास का हिस्सा है।
ताइवान के साथ तल्खियां और बढ़ने की आशंका
चीन के इस कदम से ताइवान के साथ तल्खियां और बढ़ने की आशंका है। ताइवान ने कहा कि एयक्राफ्ट कैरियर के साथ पांच जहाज सोमवार को प्राटस आइलैंड के दक्षिणीपूर्वी हिस्से से होते हुए दक्षिणीपश्चिमी हिस्से की ओर बढ़े। यह टापू ताइवान के अधीन है। ताइवान की रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि हम लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और समझने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं ताइवान में विपक्ष के वरिष्ठ सांसद जॉनी ने कहा कि चीन का यह कदम अमरीका को जवाब है। उधर, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे सामान्य अभ्यास बताया। अखबार ने लिखा कि इस अभ्यास से पता लगता है कि कैसे चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर की युद्ध क्षमता बढ़ी है।
अमरीका से संबंध बिगड़े
ताइवान की राष्ट्रपति ने अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन कर बधाई दी थी। इसके बाद से चीन ने ताइवान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। ज्ञात हो कि हाल में अमरीकी नौसेना द्वारा दक्षिण चीन सागर के आसपास के टापूओं के पास पेट्रोलिंग करने से चीन नाराज हो गया था। इसी महीने चीनी नौसेना के जहाज ने दक्षिण चीन सागर में अमरीका के अंडरवॉटर ड्रोन को जब्त कर लिया था। हालांकि बाद में चीन ने इसे लौटा दिया।
जापान निगरानी में लगा
जापान ने भी कहा कि उसने चीन के जहाजों को मयाको और ओकिनावा से गुजरते देखा था। जापान सरकार के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि इस हरकत से पता लगता है कि चीन अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है लेकिन जापान करीबी से इसकी निगरानी कर रहा है। गौरतलब है कि चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है। हर साल इस सागर के जरिये 50 खरब डॉलर का व्यापार होता है। वहीं मलेशिया, ब्रुनेई, फिलीपिंस, ताइवान और वियतनाम जैसे चीन के पड़ोसी मुल्क भी इस पर दावा करते हैं।
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