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अफगानिस्तान सरकार-तालिबान के बीच वार्ता बेनतीजा खत्म

Published: May 04, 2015 12:21:00 pm

अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच संघर्षविराम को
लेकर कतर में बैठक बिना किसी निर्णय के खत्म

afgan president hamid karzai

afgan president hamid karzai

कतर/ पेशावर। अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच संघर्षविराम को लेकर कतर में हुई दो दिवसीय बैठक बिना किसी निर्णय के खत्म हो गई है। सूत्रों ने बताया कि दोहा के उत्तर में स्थित समुद्री शहर अल खोर में बंद कमरे में हुई इस बैठक में दोनों ही पक्ष किसी नतीजे पर पहुंचने में नाकामयाब रहे।

अफगानिस्तान की सरकार ने इस बैठक के बारे में आधिकारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया लेकिन देश की उच्च शांति परिषद के एक सदस्य ने बताया कि संघर्ष विराम पर बातचीत को आगे बढाने के लिए अब तालिबान के साथ संभवत: अगले माह संयुक्त अरब अमीरात में वार्ता होगी। वहीं दूसरी ओर तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि देश में विदेशी सेना की उपस्थिति असहमति का कारण रही। अमरीका और पाकिस्तान दोनों ने अफगानिस्तान में जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए हुई इस मुलाकात का स्वागत किया।

इस बातचीत में हिस्सा लेने वाले तालिबान के प्रतिनिधि ने बताया कि वार्ता के लिए आए आठ सदस्यीय तालिबानी दल का नेतृत्व शेर मुहम्मद अब्बास सतनेकजई ने किया। इस दल ने अफगानी अधिकारियों से सीधी बातचीत की। तालिबानी प्रतिनिधि ने बताया कि बातचीत शुरू होने के बाद हमारे लोगों ने अपनी मांग और शर्तें लिखित में वार्ता के प्रतिभागियों को सौंपी। इसके बाद सीधी बातचीत शुरू हुई। अफगानी दल का नेतृत्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के चाचारकय्यूम कोचई ने किया। उन्होंने हमसे लडाई खत्म करने और युद्धविराम करने की घोषणा करने को कहा। उन्होंने हमें भाई कहते हुए अफगानिस्तान में आने और अफगानी संविधान का पालन करने को कहा।

इसके जवाब में तालिबान ने साफ किया कि जब तक अफगानिस्तान से सभी विदेशी सेनाएं बाहर नहीं चली जाती हैं तब तक वह लडाई बंद नहीं करेगा। इस पर अफगानी दल ने कहा कि अधिकतर विदेशी सेना देश से जा चुकी है जो सैनिक रह भी गए हैं वह मात्र प्रशिक्षु हैं और अगर तालिबान अपनी लडाई बंद कर देता है तो वे भी देश से चले जाएंगे। उल्लेखनीय है कि तालिबान के शासन को खत्म करने के लिए अमेरिका ने 2001 में अफगानिस्तान पर हमला किया था। तबसे जारी संघर्ष में अब तक 10,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
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