scriptतालिबान की दुश्मनी से कठिन है पाकिस्तान से दोस्तीः अशरफ गनी | Ties with Pak bigger challenge than combating terror groups says Afghan President Asraph Ghani | Patrika News

तालिबान की दुश्मनी से कठिन है पाकिस्तान से दोस्तीः अशरफ गनी

Published: Jul 25, 2016 11:24:00 am

Submitted by:

Abhishek Tiwari

गनी ने जियो न्यूज से कहा कि हमें यह समझ नहीं आता कि पाकिस्तान कहता है कि
वह आतंकवादियों के एक समूह को संविधान, सैन्य कानून में बदलाव नहीं करने
देगा और उनके खिलाफ राष्ट्रीय कार्रवाई योजना बनाता है

Ashraf Ghani

Ashraf Ghani

इस्लामाबाद/काबुल। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आतंकवादियों को पनाहगार मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया और कहा कि अल-कायदा और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों से लड़ने के बजाए पड़ोसी देश के साथ संबंध बनाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि काबुल भारत के साथ अपनी दोस्ती को लेकर गर्व महसूस करता है, क्योंकि नई दिल्ली अफगानिस्तान में लोकतंत्र फैलाना चाहता है। वहीं, गनी पाकिस्तान के बारे में कहा कि वह आतंकवादियों को पनाह देता है और उनको प्रशिक्षित करता है, जिससे पाक के साथ संबंध बनाना उनके देश के लिए बड़ी चुनौती है।

गनी ने जियो न्यूज से कहा कि हमें यह समझ नहीं आता कि पाकिस्तान कहता है कि वह आतंकवादियों के एक समूह को संविधान, सैन्य कानून में बदलाव नहीं करने देगा और उनके खिलाफ राष्ट्रीय कार्रवाई योजना बनाता है। साथ ही पाकिस्तान दूसरे समूह को बर्दाश्त करता है जो सरकार को कमतर करने का प्रयास करता है और अफगानिस्तान में भय, मौत और विनाश लाता है।

डॉन ने शनिवार को लिखा कि अफगानिस्तान के 64 वर्षीय राष्ट्रपति ने कहा कि वह पाकिस्तान के क्वेटा शहर में तालिबान नेताओं के पते बता सकते हैं। एक दिन पहले काबुल में घातक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 80 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों जख्मी हो गए थे। गनी ने दावा किया कि अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रमुख मुल्ला फजलुल्ला और उसके सहयोगियों पर 11 बार बमबारी की है।

गनी ने कहा कि क्या आप मुझे हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ, मुल्ला उमर के खिलाफ, मुल्ला मंसूर के खिलाफ एक भी अभियान दिखा सकते हैं। मंसूर ने कराची से बाहर पाकिस्तान के पासपोर्ट पर यात्रा की, क्या फजलुल्ला काबुल के बाहर अफगानिस्तान के पासपोर्ट पर जाता है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने यह भी आरोप लगाए कि अफगानिस्तान में जख्मी आतंकवादियों का पाकिस्तान के अस्पतालों में इलाज होता है।

वहीं, पाकिस्तान का कहना है कि शांति की जिम्मेवारी सिर्फ हमारी नहीं है। पहल दोनों तरफ से होना चाहिए। पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया के हवाले से यह जानकारी दी है। नफीस ने बताया कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए चार देशों का समूह बनाया गया है। ऐसे में इसके असफल रहने पर सिर्फ पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद आतंकी समूहों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता है। अफगानिस्तान में शांति सबसे ज्यादा पाकिस्तान के हित में होगा। बीबीसी की उर्दू सेवा के मुताबिक अफगान तालिबान का एक दल अफगानिस्तान सरकार से सीधे बातचीत करने के लिए कतर से कराची आया हुआ है। हालांकि, किसी भी पक्ष ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
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