script

पाकिस्तान एमटीसीआर का सदस्य क्यों नहीं बनना चाहता

Published: Jun 30, 2016 08:24:00 pm

हालांकि पाकिस्तान ने मिसाइल रिसर्च में काफी प्रगति की है और उसके पास कम, मध्यम और लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक और यूएवी हैं

Pak Missile

Pak Missile

इस्लामाबाद। एमटीसीआर में गहरी रुचि होने के बाद भी पाकिस्तान ने इसका सदस्य बनने की इच्छा अबतक जाहिर नहीं की है। हालांकि पाकिस्तान ने मिसाइल रिसर्च में काफी प्रगति की है और उसके पास कम, मध्यम और लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक और यूएवी हैं। लेकिन उसने कभी भी एमटीसीआर का सदस्य बनने की मंशा जाहिर नहीं की। सैद्धांतिक रूप से ऐसा करके वह उच्च स्तरीय मिसाइल तकनीक हासिल कर सकता है।

हाल ही में भारत एमटीसीआर का 35 सदस्य देश बना है। भारत के इस समूह का सदस्य बनने को समूह के अध्यक्ष पीट क्लार्क ने मिसाइल तकनीक के प्रसार को रोकने के प्रयासों के सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया। लेकिन पाकिस्तान के इसमें शामिल नहीं होनेके कई कारण बताए जा रहे हैं।

पाकिस्तान विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस ज़कारिया का कहना है कि देश में इस समूह का सदस्य बनने के लिए सभी संबंधित पक्षों के बीच एक राय नहीं बनी है। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि इसकी सदस्यता लेने का सही वक्त अभी नहीं आया है। ऐसे भी पाकिस्तान स्वेच्छा से एमटीसीआर के दिशा निर्देशों का पालन कर रहा है। एमटीसीआर की सदस्ता के लिए कई शर्तों का पालन करना होता है जिनमें संभावित सदस्य के सदस्य बनने से मिसाइल तकनीक के अप्रसार के प्रयास को दृढ़ता मिलनी चाहिए।

एनएसजी की सदस्यता के लिए आवश्यक एनपीटी के अनुमोदन की शर्त का अनुपालन नहीं होने के बावजूद पाकिस्तान उस समूह में शामिल होना चाहता है लेकिन एमटीसीआर के लिए आवश्यक सभी शर्तों को पूरा करता है। लेकिन जो लोग सदस्यता पर निर्णय लेते हैं, जिसमें आस सहमति और अन्य कई कारकों से सदस्यता मिलती है जिनमें भू-राजनीतिक और कई नीतिगत मामले शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि हम अपने हितों के आधार पर निर्णय लेते हैं कि कब और किस आधार पर निर्णय करना है. लेकिन पाकिस्तान में एक वर्ग ऐसा भी है जिसका पाकिस्तान के एमटीसीआर में शामिल होने के उद्देश्य अलग हैं। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थाई दूत रह चुके आमिर अकरम का कहना है कि एमटीसीआर का सदस्य बनने से हमें कोई फायदा नहीं होगा। पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा के संदर्भ में इस विकल्प को खुला रखना चाहिए और एमटीसीआर की पांबदियों में नहीं उलझना चाहिए।

सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्ट्रेटजिक स्टडीज के सरवर नकवी कहते हैं कि पाकिस्तान को यह महसूस नहीं होता है कि हमें एमटीसीआर का सदस्य बनना चाहिए क्योंकि हमारे पास मिसाइन निर्माण की स्वेदेशी तकनीक और क्षमता है जो देश की सुरक्षा के लिए पर्याप्त है। वह आगे कहते हैं कि एमटीसीआर एक स्वैच्छिक संस्था है जिसके सदस्यों पर किसी तरह की कानूनी बाध्यता नहीं है। जो इसके सदस्यों को 300 किमी दूरी और 500 किलो आयुध ले जाने की क्षमता से ज्यादा के हथियारों के व्यापार की तकनीक के हस्तांतरण पर रोक लगाता है।

ट्रेंडिंग वीडियो