2005 से 2012 के बीच आजमगढ़ में भीड़ ने नौ अपराधियों संग भीड़ ने किया था तालिबानी इंसाफ।
रणविजय सिंह
आजमगढ़. सभ्य समाज कानून को हाथ ले लेने की इजाजत तो नहीं देता लेकिन कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि लोग आपा खो बैठते हैं। ऐसा ही कुछ बुधवार को सरायमीर थाना क्षेत्र में देखने को मिला। इस थाना क्षेत्र का सिकरौर सहबरी इलाका आपराधिक वारदातों के समय त्वरित निर्णय लेने के मामले में अव्वल माना जाता है। तभी तो बुधवार को लूट के इरादे से आए बदमाशों द्वारा सराफा व्यवसायी को गोली मारने की घटना के बाद बौखलाई जनता ने बदमाशों को घेरा और कानून को हाथ में लेते हुए उन्हें त्वरित सजा सुनाते हुए मौत की नींद सुला डाला। इस इलाके में पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। जब जनता के हाथों बदमाश मारे गए।
पूर्व की घटनाओं पर नजर डाली जाए तो विगत वर्ष 2005 में कच्छा-बनियान गिरोह के चार बदमाश जनता के हाथों उस समय मारे गए जब सुबह-सवेरे सात-आठ की संख्या में आए अपराधियों को शराब दुकान की तलाश करते स्थानीय लोगों को संदेह हुआ। मारे गए बदमाशों के पास से भारी मात्रा में जेवरात बरामद किए गए थे। वर्ष 2006 में क्षेत्र के सैजना गांव के पूर्व प्रधान बुद्धू की हत्या के इरादे से आए दो बदमाशों को ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला। इसी तरह वर्ष 2012 में धन्नीपुर मिश्राना ग्राम निवासी एक युवक की हत्या कर नकदी लूट भाग रहे तीन बदमाशों को नियाउज गांव के सिवान में जनता ने मौत की सजा सुना दी।
इसी वर्ष अहरौला थाना क्षेत्र के शाहपुर बाजार से लूट की घटना को अंजाम देकर भाग रहे बदमाश जनता द्वारा पीछा किए जाने पर हमीदपुर गांव स्थित गन्ने के खेत में छिप गए। ग्रामीणों की घेरेबंदी के दौरान गोरखपुर जनपद निवासी गुड्डू यादव को उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। जबकि मृतक बदमाश का साथी सूरज उर्फ देवानंद यादव निवासी ग्राम सदनपट्टी थाना अहरौला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आपराधिक वारदातों के दौरान जनता द्वारा बदमाशों को सबक सिखाने की घटनाएं बहुत पहले से चली आ रही है। इन घटनाओं में बुधवार को एक कड़ी और जुड़ गई।