आजमगढ़. सरकार बदली, माहौल बदला लेकिन नही बदली तो नौकरशाहों की कार्यशैली। प्रदेश में योगी सरकार के बनने के बाद शुरूआत में सरकार ने जो हनक बनायी थी वही तीन माह में ही रसातल में पहुंच गयी। सरकार की हर मुमकिन कोशिश के बाद भी अधिकारी अपनी आदतों में बदलाव लाने को तैयार नही है। यह हम नही बल्कि सरकार की रिपोर्ट कह रही है। प्रमुख सचिव जब जिलाधिकारियों के ऑफिस में टेलीफोन के जरिये जानकारी ली तो पता चला कि प्रदेश के 26 डीएम कार्यालय में नही उपस्थित थे, उनमें से आजमगढ़ मंडल के तीनों जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल है।
प्रदेश की सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था अधिकारी अपने कार्यालय में पूर्वान्ह् 9 बजे से 11 बजे तक जनता की शिकायतों को सुनेगें और उसका निराकरण करेंगें। आदेश के आने के क्रम में अधिकारी समय से पहले ही ऑफिस पहुच जाते थे और जनता की शिकायतों को सुनते थे लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरता गया अधिकारी भी धीरे -धीरे अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना तो दूर अब वे कार्यालय में जनता की शिकायतों को सुनने में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहें है। शायद यही कारण था कि पिछले दिनों सीएम की जनसुनवाई में शिकायतों का अम्बार लग गया। और खुद वीडियो कांफ्रेसिंग में मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को कहना पड़ा कि जनता की शिकायतों को अधिकारी सुन नही रहे है जिसके कारण उनके ऑफिस में शिकायतों का अम्बार लग रहा है।
यहां पर दिलचस्प बात यह रही कि पूरे प्रदेश में सीएम की जनसुनवाई में प्रदेश की सबसे अधिक करीब 3 लाख शिकायती प्रार्थना पत्र मिला था। जिसके बाद सीएम ने जिलाधिकारी से जनता की शिकायतों को सुनने के लिए और उसके निस्तारण में तेजी लाने का निर्देश दिया था। सीएम के आदेशों और निर्देशों का कितना असर हुआ यह 17 जुलाई को सामने तब आया जब मुख्य सचिव ने राजीव कुमार ने 75 जिलाधिकारियों के कार्यालयों मे फोन कर यह जानकारी लेनी चाही कि जिलाधिकारी अपने कार्यालयों में बैठकर जनता की समस्याओं को सुनते है या नही । मुख्य सचिव के फोन निरीक्षण में आजमगढ़ मंडल के तीनों जिले आजमगढ़, मऊ और बलिया के जिलाधिकारी अपने-अपने कार्यालयों से गायब मिले।