scriptइधर मेधा पाटकर ने लगाए आरोप, उधर नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं के घर प्रशासन की दबिश | action against Narmada Bachao Andolan activist after PC of Medha Patkar | Patrika News

इधर मेधा पाटकर ने लगाए आरोप, उधर नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं के घर प्रशासन की दबिश

locationबड़वानीPublished: Jan 14, 2017 02:40:00 am

Submitted by:

Editorial Khandwa

खनन माफियाओं का साथ दे रहा प्रशासन, नहीं होती कार्रवाईसीएम के कार्यक्रम स्थल वाले इलाके में बेधड़क रेत खनन, आरोपों के बाद कार्यकर्ताओं पर की कार्रवाई

action against Narmada Bachao Andolan activist aft

action against Narmada Bachao Andolan activist after PC of Medha Patkar


बड़वानी. खुलेआम अवैध रेत खनन चल रहा है और प्रशासन रेत माफियाओं के समर्थन में है। पूरी हकीकत जानने के बाद भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। हमारे कार्यकर्ता रेत माफियाओं की जानकारी देते हैं तो उल्टा उन्हीं पर एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। एक ओर मुख्यमंत्री मंचों से बोलते हैं कि नर्मदा किनारे कहीं भी खनन नहीं होने देंगे, वहीं दूसरी तरफ यहां बेरोकटोक खनन का काम चल रहा है। मुख्यमंत्री की सभा कुछ दिनों बाद जहां होने वाली है, उसी बड़वानी तहसील में नर्मदा किनारों पर रेत खनन का काम जारी है। ये बातें नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने आंदोलन कार्यालय पर शुक्रवार को हुई प्रेसवार्ता के दौरान कही।


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उधर, प्रशासन ने शाम को नबाआं कार्यकर्ताओं के यहां कार्रवाई और उनके ठिकानों से रेत जप्त की। पाटकर ने ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं पर कैलाश भामरे ने रेत से भरा ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया गया था। कैलाश भामरे व उसके परिजनों पर रेत खनन के पूर्व में भी मामले दर्ज हैं। मामला दर्ज करने के बाद भी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। वहीं कुछ दिनों बाद हमारे कार्यकर्ता राहुल यादव और पवन यादव पर एससी-एसटी एक्ट में प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। आखिर ये कैसा प्रशासन यहां चल रहा है। एनजीटी और हाईकोर्ट की अवमानना प्रशासन कर रहा है। प्रशासन अवैध खनन का पूरी तरह से साथ दे रहा है। ये लड़ाई पर्यावरण व विकास के बीच चल रही है।

रोजगार गारंटी फ्लॉप होने से हुआ पलायन
उन्होंने यहां कहा कि रेत माफिया मजदूरों को लेकर रैली निकाल रहे हैं और बोल रहे हैं कि उनका रोजगार प्रभावित हो रहा है। इन्हें रोजगार देना है तो मनरेगा के कामों को शुरू करना चाहिए। जिले में रोजगार गारंटी योजना फ्लॉप हो चुकी है। मनरेगा के काम बंद होने के बाद आदिवासी पलायन के लिए मजबूर हैं। इस जिले में आदिवासियों के साथ ही अत्याचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि रेत खनन भी आदिवासी विरोध है। कुछ भी करेंगे और उसे विकास बोलेंंगे तो ये नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से एसडीएम बयान दे रहे हैं, इससे लगता है कि ये अवैध खनन वालों के साथ हैं। एसडीएम बोल रहे हैं हम कानून हाथ में ले रहे हैं। हमारा ये सवाल है कि कौन सा वैध रेत खनन हमने रोका है। यहां तो पूरा खनन ही अवैध है। जो डूब क्षेत्र की जमीन एनवीडीए के नाम है, उसकी लीज खनिज विभाग दे रहा है। अमरकंटक, शहडोल, जबलपुर, मंडला बड़वानी, धार, खरगोन जैसे जिलों में तथा देवास, होशंगाबाद में भी अवैध रेत खनन शासन के समक्ष और समर्थन से जारी रखना एक साजिश है।


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आदिवासियों ने भी बताई समस्या
इस दौरान आंदोलन के आदिवासी प्रतिनिधियों ने भी अपनी समस्या यहां रखी। शोभाराम भीलाला ने बताया कि डूब प्रभावितों को अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। जमीन के बदले जमीन की मांग करने वालों पर मुआवजा राशि लेने का दबाव बनाया जा रहा है। राशि नहीं लेने पर अपात्र घोषित करने के नोटिस दिए जा रहे हैं। लोगों का पुनर्वास नहीं हुआ है। आदिवासियों के साथ सरकार पक्षपात कर रही है। इस दौरान कैलाश अवास्या ने बताया कि नदी किनारे रेत खनन से किनारे खत्म किए जा रहे हैं। गांवों में पानी भरने का खतरा इससे बढ़ गया है। रेत खनन में निकली मिट्टी नर्मदा में डाली जा रही है। बांध बनने से यहां की मछलियों पर भी प्रभाव पड़ रहे हैं। केचमेंट एरिया में ट्रीट करने की शर्त पर बांध को मंजूरी दी गई थी। यहां तो गाद बढ़ा रहे हैं।

कसरावद में प्रशासन ने दी दबिश
बड़वानी ञ्च पत्रिका. अवैध रेत खनन का विरोध कर रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं के निर्माणाधीन मकानों पर प्रशासनिक अमले ने शुक्रवार शाम को दबिश दी। कसरावद व भीलखेड़ा बसाहट में एसडीएम महेश बड़ौल, खनिज अधिकारी सचिन वर्मा पुलिस बल के साथ पहुंचे। कार्रवाई के दौरान कसरावद में राहुल यादव के निर्माणाधीन मकान और गणेश अवास्या के निर्माणाधीन मकानों के पास बालू रेत पाई गई। इस दौरान प्रशासनिक अमले ने यहां कार्रवाई कर पंचनामा बनाया। इस कार्रवाई को देखते हुए तो ऐसे लगता है जैसे आंदोलन और प्रशासन अब आमने-सामने खड़े हैं। आंदोलन कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद की गई कार्रवाई पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना था कि शहर में इतनी जगह मकान निर्माण का कार्य चल रहा है। वहां पड़ी बालू रेत आज तक खनिज विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई दी। सरकारी निर्माणों में बालू रेत का उपयोग हो रहा है, वह रेत कहां से आ रही है।


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