अधिकारियों को बचा कर क्रेता-विके्रता व विस्थापितों को फंसाने में लगी सरकार
बड़वानीPublished: Dec 01, 2016 06:21:00 pm
फर्जी रजिस्ट्री में डूब प्रभावितों पर ही दर्ज किए जा रहे प्रकरणअधिकारियों के नाम सामने आने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई दलाल, के्रता, विक्रेता की तलाश जारी, हुए भूमिगत
Sardar Sarovar dam project
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध परियोजना में हुए फर्जी रजिस्ट्री कांड के दलालों, क्रेता-विक्रेताओं पर अ पुलिस ने शिकंता कसना शुरु किया है। फर्जी रजिस्ट्री कांड में सैकड़ों लोगो के पर एफआईआर के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। रविवार शाम को जब बागली (देवास) पुलिस यहां दलालों की धरपकड़ के लिए आई तो कई दलाल और फर्जीवाड़े में शामिल लोग भूमिगत हो गई।
पुलिस के आने की खबर मिलते ही ये लोग अपने घरों के पिछले दरवाजे से भाग निकले। हालांकि पुलिस को यहां से मायूस ही लौटना पड़ा, लेकिन कुछ भी हो सालों पहले हुए फर्जीवाड़े के बाद अब जब पुलिस धोखाधड़ी करने वालों की तलाश में जुटी है तो यहां खलबली मची हुई है। मामले में कई अधिकारियों के नाम सामने आने के बाद भी उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, ये बड़ा सवाल है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं का तो सीधा से आरोप है कि सरकार क्रेता-विक्रेता और विस्थापितों को ही फंसाने मेंं लगी हुई है। जिन अधिकरियों के नाम झा आयोग की रिपोर्ट में सामने आ गए हैं, उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आंदोलन कार्यकर्ताओं ने बताया कि इतने बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े में अधिकारियों की संलिप्तता भी उतनी ही है, जितनी दलालों की। जब फर्जी रजिस्ट्रीयां हो रही थी तो अधिकारियों ने क्या देखा। आंदोलन कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अधिकारियों ने दलालों से मिलीभगत कर कई डूब प्रभावितों का रुपया हड़प लिया। मुआवजा राशि निकालने व रजिस्ट्रीयां कराने के दौरान दलाल एनवीडीए कार्यालय के आसपास ही मंडराते रहते थे। विस्थापितों को बरगला कर ये दलाल अधिकारियों से सांठगांठ करते थे और फिर फर्जीवाड़ा करते थे। आंदोलन कार्यकर्ताओं ने बताया कि विस्थापितों और क्रेत-विक्रेता, आदिवासी, किसान और मजदूरों पर प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। अधिकारियों पर सरकार की मेहरबानी हो रही है, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। जबकि अधिकारी भी उतने ही दोषी हैं, जितने दलाल।
1589 रजिस्ट्रियां हुई हैं फर्जी
नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं ने बताया कि झा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर यह साबित होता है कि 158 9 रजिस्ट्रीयां फर्जी हुई हैं। इनमें से करीब 999 रजिस्ट्रीयां ऐसी हैं, जिनके दस्तावेज ही गलत हैं। अन्य 56 1 की लेनदेन फर्जी है। मूल विक्रेता मालिक ही जमीन पर कब्जा रखे हुए हंै। एक-एक रजिस्ट्री के पीछे एनवीडीए के अलावा राजस्व विभाग एवं लोक निर्माण, रजिस्ट्रार तीन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी दोषी हैं। इन्हें बचाने के लिए नर्मदा घाटी के हजारों आदिवासी, दलित, किसानों की जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा काम हो रहा है।
पुनर्वास स्थलों में भी हुई है धांधली
फर्जी रजिस्ट्री के साथ ही विस्थापितों के लिए बनाए गए पुनर्वास स्थलों पर भी जमकर धांधली हुई है। भू-खंड आवंटन हो या पुनर्वास स्थलों पर राशि खर्च का मामला, हर मामले में फर्जीवाड़ा चला है। नबआं कार्यकर्ताओं ने बताया कि पुनर्वास स्थलों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी वे रहने लायक नहीं है। यहां सुविधाएं नहीं होने से प्रभावित आज भी मूलगांव में ही रह रहे हैं। इसके बाद भी सरकार जीरो बैलेंस बताकर लोगों को डूबोने की साजिश में लगी हुई है। इन्होंने मांग की है कि फर्जी रजिस्ट्री कांड के साथ ही अन्य मामलों में दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई होना चाहिए।