scriptडूब गांव खाली करने में सात दिन का समय बाकी, प्रभावितों का अनशन जारी | Seven days remaining to clear the drowning village, rest on the 16th day | Patrika News

डूब गांव खाली करने में सात दिन का समय बाकी, प्रभावितों का अनशन जारी

locationबड़वानीPublished: Jul 24, 2017 12:07:00 pm

आंखों में भय, चेहरों पर बैचेनी, फिर भी इरादे अडिग, डूब गांव खाली करने में सात दिन का समय बाकी, डूब क्षेत्र बगुद पहुंचे अधिकारियों ने फिर दी विस्थापितों को समझाइश, प्रभावित हटने को तैयार नहीं, एक अगस्त को हर हाल में हटाएगा प्रशासन

Sitting sitting on hunger strike affected

Sitting sitting on hunger strike affected

बड़वानी. जैसे जैसे डूब गांवों को खाली कराने का समय पास आता जा रहा है, वैसे वैसे डूब गांवों में अजीब सी खामोशी छाने लगी है। डूब गांवों में मौजूद विस्थापितों की आंखों में भय, माथे पर चिंता की लकीरें और चेहरों पर भले ही बैचेनी दिख रही हैं, लेकिन बिना पुनर्वास के अपने स्थान से नहीं हटने के इरादे भी अडिग दिख रहे है। अब डूब गांवों को खाली कराने में महज सात दिन का समय बाकी रह गया है। प्रभावित हटने को तैयार नहीं है और प्रशासन एक अगस्त से हर हाल में डूब गांव खाली कराने के प्रयास में है। रविवार को भी अधिकारियों का दल डूब क्षेत्र बगुद पहुंचा और विस्थापितों को गांव खाली करने की सलाह दी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरदार सरोवर बांध के डूब गांवों को 31 जुलाई तक पुनर्वास कर खाली कराना है। डूब गांवों में विस्थापित संपूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर अड़े हुए है। अपनी मांग को लेकर डूब प्रभावितों का 16 दिन से क्रमिक अनशन भी चल रहा है। 


अधिकारियों से किए सवाल-जवाब
शनिवार को धार जिले के निसरपुर में नर्मदा बचाओ आंदोलन ने लोकमंच का आयोजन किया था। लोकमंच में बड़ी संख्या में डूब प्रभावित शामिल हुए थे। इस आयोजन के बाद डूब प्रभावितों में एक नई ऊर्जा आई है। जिसके बाद आगामी दिनों में आंदोलन और तेज होता दिख रहा है। रविवार को एसडीएम महेश बड़ोले और तहसीलदार आदर्श शर्मा डूब ग्राम बगुद पहुंचे। यहां क्रमिक अनशन पर बैठे डूब प्रभावितों ने अधिकारियों से सवाल-जवाब किए। अधिकारियों का कहना था डूब क्षेत्र छोड़कर चले जाओ, नहीं तो हम हटाएंगे। इस पर हरेसिंह ने कहा हमारे मूलगांव में 8 मंदिर है उनका पुनर्वास नहीं हुआ है। पुनर्वास स्थलों पर कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों ने कहा मकान बनाने के लिए 80 हजार से 1.20 लाख रुपए ले लो। डूब प्रभावितों का कहना था हमारे पशुओं के लिए चरगोई की जमीन नहीं है, उनका क्या होगा। संपूर्ण पुनर्वास के हम अपना गांव नहीं खाली करेंगे। 

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