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बलरामपुर

फिर सामने आई डॉक्टरों की संवेदनहीनता, 11 घंटे से फर्श पर पड़ी प्रसूता को नहीं मिला इलाज

प्रसूताओं के परिजनों से स्वास्थ्य कर्मियों ने मांगे साढे चार हजार रुपये

बलरामपुरSep 22, 2016 / 08:25 am

Ruchi Sharma

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बलरामपुर. प्रदेश सरकार जहां एक ओर महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये हर सम्भव प्रयास कर रही है, वही स्वास्थ्य कर्मचारी और डॉक्टर न सिर्फ सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे है बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी ताक पर रख कर अवैध धन वसूली में लगे है। ताजा मामला बलरामपुर के जिला महिला अस्पताल का है जहां दो 
प्रसूताएं घण्टों फर्श पर पड़ी तडपती रही। उनका इलाज करना तो दूर डिलवरी कराने के नाम पर उनसे अवैध धन वसूली की मांग की गयी।

प्रसव पीड़ा से छटपटा रही यह महिला है सीमा देवी। इसके परिजन दिन में 11 बजे इसको जिला महिला अस्पताल लेकर आए ताकि इसकी आसानी से डिलीवरी हो सके। लेकिन यहां तो उसे बिस्तर भी नहीं नसीब हुआ। डिलीवरी के लिये इसके परिजनों से साढ़े चार हजार रुपये की मांग की गयी। असमर्थता जताने पर उसे अस्पताल के बरामदे की फर्श पर ही तड़पने के लिये छोड दिया गया। सीमा की हालत बिगडती देख फर्श पर ही उसे ग्लूकोज की बोतल चढ़ा दी गयी।

11 घण्टों तक यह महिला अस्पताल की फर्श पर तडपती रही फिर उसे यहां से रेफर करने का फरमान जारी कर दिया गया। सीमा के ससुर बेलऊ ने बताया कि सीमा को डिलेवरी के लिए अस्पताल में लेकर पहुंचा उसके बाद अस्पताल कर्मियों ने अॉपरेशन के नाम पर साढे चार हजार रुपये की मांग की तो मैंने असमर्थता जतायी तो अस्पताल कर्मियों ने बाहर फर्श पर लेटा दिया। तरह-तरह के बहाने करने लगे। खून लाओ, जांच कराओ उनके कहे मुताबिक मैंने सब कुछ किया लेकिन पैसे ने देने पर दिन से आधा रात कर दिया लेकिन बेटी का इलाज तक नही किया। हालत बिगड़ी तो रेफर का स्लिप हाथ में थमा दिया।

अस्पताल के बरामदे की फर्श पर पड़ी रीता देवी का भी यही हाल है। पिछले छह घण्टे से यह भी फर्श पर पड़ी कराह रही है।लेकिन कोई डॉक्टर इसे देखने के लिये नहीं आया। इसे भी बिस्तर नहीं दिया गया। परिजनों से खून की मांग की गयी।परिजनों ने किसी तरह खून का इन्तजाम तो कर लिया लेकिन अब उसे यहां से गोण्डा या बहराइच जिले के लिये रेफर किया जा रहा है। रात में 12बजे दर्द से छटपटाती प्रसूता को लेकर उसके परिजन जाए भी तो कहां, इसका जबाब देने के लिये जिला
 महिला अस्पताल में न कोई डॉक्टर है न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी।

यह दशा है गरीब महिलाओं की जिनकी जिन्दगी सिर्फ भगवान भरोसे है। डॉक्टर जिन्हे धरती का भगवान कहा जाता है।उनकी संवेदनाओं को तार-तार करने के लिये ये दृश्य काफी है। देखना यह है कि क्या सरकार इन घटनाओं पर कोई एक्शन लेगी ताकि आगे प्रसूताओं को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े। 

अब जिम्मेदार क्या कहते है ये भी सुन ले-इस मामले पर जब तत्काल डीएम से बात की गई तो डीएम साहब नींद में थे। डीएम ने कहा कि अभी उनका इलाज होने दीजिए। सुबह इस मामले को देखूगा और कार्रवाई होगी अब राम जाने सुबह कब होगी।तदुपरान्त स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. एसपी यादव से बात हुई तो जवाब आया यह तो बहुत गम्भीर मामला है अभी बात करता हूं….कार्रवाई होगी….सस्पेंड कराता हूं……..राम जाने वो घडी कब आयेगी…….ये है जिला महिला अस्पताल की राम कहानी।
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